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    Solar Eclipse 2022: सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना चाहिए या नहीं? तर्क वादियों ने दिया कुछ ऐसा जवाब

    By Shivam YadavEdited By:
    Updated: Wed, 26 Oct 2022 05:50 AM (IST)

    सूर्य ग्रहण के बारे में कथित अंधविश्वास ‘लोगों को इस दौरान न ताे खाना बनाना चाहिए और न ही खाना चाहिए’ को खत्म करने के लिए खुद को तर्कवादी समुदाय का कहने वाले कुछ लोगों ने उड़ीसा के भुवनेश्वर में चिकन बिरयानी लोगों में बांटी।

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    तर्क वादियों और परंपरावादियों में एक बहस का मुद्दा बन गया।

    भुवनेश्वर, एजेंसी। साल का अंतिम सूर्य ग्रहण मंगलवार को शाम लगभग साढ़े 4 से 6 बजे के बीच समस्त भारत में देखने को मिला। इस दौरान मीडिया में तमाम तरह की खबरें चलीं कि सूर्य ग्रहण के समय क्या करना चाहिए और काैन-कौन से कार्य निषेध माने जाते हैं। इनमें से एक कार्य ‘भोजन बनाना और खाना’ भी शामिल है, जो सूर्य ग्रहण के दौरान वर्जित होता है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। यह तर्क वादियों और परंपरावादियों में एक बहस का मुद्दा बन गया। कुछ तर्क वादियों ने इसे ‘अंधविश्वास’ और ‘अयथार्थ’ बताया है। 

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    सूर्य ग्रहण के बारे में कथित अंधविश्वास ‘लोगों को इस दौरान न ताे खाना बनाना चाहिए और न ही खाना चाहिए’, को खत्म करने के लिए खुद को तर्कवादी समुदाय का कहने वाले कुछ लोगों ने उड़ीसा के भुवनेश्वर में चिकन बिरयानी लोगों में बांटी। इस दौरान उन्होंने लोगों में यह संदेश दिया कि सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करना न ही मनुष्य के लिए गलत है और न ही इससे कोई हानि पहुंचती है।

    सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने का कोई दुष्प्रभाव नहीं 

    पीटीआई के अनुसार, उत्कल विश्वविद्यालय में साइकोलाजी के रिटायर्ड प्रोफेसर प्रताप राठ ने कहा, ‘लोगों द्वारा सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन न करना, एक मूर्खता है। सूर्य ग्रहण के दौरान यदि कोई पकाया हुआ भोजन कर लेता है तो इससे कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता’। वर्तमान में दिव्यांगों को सशक्त बनाने के अभियान का नेतृत्व कर रहे राठ ने दावा किया कि वह बचपन से सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करते आए हैं, फिर भी स्वस्थ हैं।

    5 से 10 प्रतिशत लोग करते हैं परंपरा का पालन

    एक अन्य तर्क वादी देवेन्द्र सुतर जो मैगजीन ‘वैज्ञानिक चर्चा’ के संपादक हैं, ने कहा कि सूर्य ग्रहण के दौरान खाली पेट रहने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। उन्होंने कहा, ‘वे (परंपरावादी) दावा करते हैं कि जब पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती है तो भोजन सही से नहीं पचता। लेकिन क्या हम रात को भी खाना नहीं खाते?’ देवेन्द्र ने पूछा कि केवल 5 से 10 प्रतिशत लोग ही इस पारंपरिक प्रथा का पालन करते हैं तो क्या और सभी बीमार पड़ रहे हैं? 

    सरकार को एडवाइजरी जारी करनी चाहिए

    बिरयानी खाते हुए एक तर्क वादी भालाचंद्र सारंगी ने सूर्य ग्रहण के दौरान भूखे रहने को अंधविश्वास का दर्जा देते हुए कहा कि अगर ग्रहण के दौरान भोजन करना हानिकारक है तो इसे लेकर सरकार को एक एडवाइजरी जारी करनी चाहिए। परंपरावादियों की सोच विज्ञान के आधार विहीन है इसलिए हमें इस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

    परंपरावादी रहे तटस्थ

    हालांकि, इन सबके बीच परंपरावादी विचारधारा के लोग तर्कवाद के इन दावों से तटस्थ रहे। वैदिक प्रथाओं के विशेषज्ञ सत्यनारायण पंडा ने कहा, ‘हम सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने वाले किसी भी व्यक्ति का विरोध नहीं कर रहे हैं। 

    हिंदू सूर्य को भगवान के रूप में और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रूप में पूजा करते हैं। इसलिए कम से कम सम्मान की खातिर मैं सभी से परंपरा का पालन करने की अपील करता हूं’। उन्होंने कहा हालांकि सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन भारतीय संस्कृति में इसकी पौराणिक और ज्योतिषीय प्रासंगिकता है।

    यह भी जानें

    हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब राहु (नौ प्रमुख खगोलीय पिंडों में से एक या नवग्रह और उल्काओं का राजा), थोड़े समय के लिए सूर्य देव को निगल जाता है।

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