संबलपुर चिड़ियाघर में बनेगा ओडिशा का पहला 'ग्लास व्यू टाइगर एन्क्लोजर' और अंडर वाटर क्रोकोडाइल एन्क्लोजर
संबलपुर चिड़ियाघर, ओडिशा में राज्य का पहला 'ग्लास व्यू टाइगर एन्क्लोजर' और 'अंडरवॉटर क्रोकोडाइल एन्क्लोजर' स्थापित किया जाएगा। यह परियोजना पर्यटकों को बाघों और मगरमच्छों को सुरक्षित रूप से देखने का अनूठा अवसर प्रदान करेगी। इस पहल से ओडिशा में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

संबलपुर चिड़ियाघर
संवाद सहयोगी, संबलपुर। स्थानीय चिड़ियाघर में ओड़िशा का प्रथम ग्लास व्यू टाइगर एन्क्लोजर समेत मगरमच्छ और घड़ियाल के लिए अलग अलग एन्क्लोज़र बनाया जा रहा है। इन तीनों एन्क्लोज़र करीब 3400 वर्ग मीटर के होंगे।
इसके लिए पांच करोड़ रूपए खर्च का आकलन किया गया है। इस एन्क्लोजर में चार रॉयल बंगाल टाइगर (दो नर और दो मादा) रखे जाएंगे।
इस बारे में जानकारी देते हुए हीराकुद वन्यप्राणी प्रभाग की डीएफओ अंशु प्रज्ञा दास ने बताया है कि टाइगर एनक्लोजर में चार रॉयल बंगाल टाइगर होंगे, जिनमें से दो नर और दो मादा होंगी। एन्क्लोजर में 155 वर्ग मीटर का नाइट हाउस (नेचुरल गुफा का स्ट्रक्चर), 100 वर्ग मीटर का क्रॉल, नेचुरल चट्टानों पर झरना और 50 वर्ग मीटर का पानी का पूल, पहाड़ी, लकड़ी के लट्ठे और जानवरों का अड्डा वगैरह होंगे।
जानवर आराम महसूस कर सकें
नेचुरल तरह की चीज़ें नेचुरल हैबिटैट जैसी होंगी, जिससे जानवर आराम महसूस कर सकें। एनक्लोजर की बाउंड्री नीचे ईंट के स्ट्रक्चर की होगी, जानवरों को एनक्लोजर से भागने से रोकने के लिए पावर फेंस के साथ चेन लिंक वायर मेश फेंसिंग होगी।
बाउंड्री की सबसे निचली दीवार 0.5 मीटर ईंट की दीवार होगी, उसके ऊपर 5 मीटर (16.5 फीट) ऊंची चेन लिंक वायर मेश फेंस होगी, जिसके ऊपर 1.5 मीटर झुकी हुई शीट होगी। 100 वर्ग मीटर का क्रॉल नाइट हाउस से जुड़ा होगा ताकि जब भी जरूरत हो, टाइगर को मेडिकल केयर के लिए अलग रखा जा सके। नाइट हाउस में चार नाइट शेल/फीडिंग शेल, एक स्क्वीज़ केज और कीपर गैलरी होगी।
व्यूइंग गैलरी
35 वर्ग मीटर (16.8 मीटर लंबाई और 2.1 मीटर ऊंचाई) का ग्लास व्यू एरिया विज़िटर्स के लिए टाइगर देखने के लिए उपलब्ध होगा। व्यूइंग एरिया में बीच की लेमिनेशन के साथ टफ ग्लास की 3 लेयर दी जाएंगी।
ग्लास व्यू एन्क्लोजर के फायदे
इससे देखना आसान है क्योंकि विजिटर्स बिना किसी रुकावट के बड़ी ग्लास की दीवार से टाइगर को साफ देख पाएंगे। टाइगर बाहर का शोर नहीं सुन पाएंगे, क्योंकि ग्लास एक साउंड बैरियर की तरह काम करेगा जिससे उन्हें शांत रहने में मदद मिलेगी।
कांच से टाइगर को देखना भी हर विजिटर के दिल में एक यादगार पल छोड़ जाएगा। विजिटर टाइगर का पैनोरमिक व्यू देख सकते हैं, जिससे उन्हें उसके दिलचस्प व्यवहार और आदतों के बारे में पता चलेगा। लैमिनेटेड टफ ग्लास लेयर विज़िटर और जानवरों दोनों की सुरक्षा पक्का करेगी।
चिड़ियाघर में मगरमच्छ और घड़ियाल के पानी के नीचे देखने के लिए बाड़ों की नींव रखना
चार मगरमच्छों (दो नर और दो मादा) के लिए 1000 वर्ग मीटर का बाड़ा एरिया बनाया जाएगा। चार घड़ियाल (दो नर और दो मादा) के लिए 1000 वर्ग मीटर का बाड़ा होगा।
हर बाड़े का एक हिस्सा जानवरों के लिए रेत और मिट्टी पर धूप सेंकने के लिए दिया जाएगा, जिसमें लकड़ी के लट्ठे, प्राकृतिक पत्थर, रेत के टीले, छोटी झाड़ियां और पेड़ जैसी प्राकृतिक चीज़ें होंगी।
एरिया के एक चौथाई हिस्से में कांच की दीवार (18 मीटर लंबी और 2.1 मीटर ऊंची) होगी ताकि मगरमच्छ और घड़ियाल को अलग-अलग पानी के नीचे देखा जा सके।
पानी के जानवरों को पानी के नीचे देखने से विज़िटर जानवरों को तैरते हुए और उनके प्राकृतिक पानी के माहौल में उनके व्यवहार को देख पाएंगे। विज़िटर ज़मीन और पानी दोनों जगह जानवरों को देख सकते हैं।
गौरतलब है कि ओडिशा में सतकोसिया गॉर्ज भारत में घड़ियालों के लिए सबसे दक्षिणी सीमा है। पहले घड़ियाल महानदी नदी में संबलपुर तक देखे गए हैं। घड़ियाल और मगरमच्छ दोनों ही ताज़े पानी में रहने वाले प्राणी हैं।

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