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    Raghubar Das: राज्यपाल के पद से इस्तीफा, अब क्या करेंगे रघुवर दास? जगन्नाथ के दर्शन के बाद दिया अपडेट

    रघुवर दास ने ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बुधवार को पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन किए और आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें ओडिशा के लोगों की सेवा करने का अवसर मिला। रघुवर दास ने कहा कि वह पार्टी (भाजपा) तय करेगी कि उनकी अगली भूमिका क्या होगी।

    By Sheshnath Rai Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 25 Dec 2024 04:37 PM (IST)
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    राज्यपाल के पद से इस्तीफा, अब क्या करेंगे रघुवर दास? फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राज्यपाल पद से मंगलवार को अचानक इस्तीफा देने वाले रघुवर दास ने बुधवार को पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें ओडिशा के लोगों की सेवा करने का अवसर मिला।

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    महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन करने के बाद मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मैं ओडिशा के लोगों के उत्साह को सलाम करता हूं। डबल इंजन की सरकार के तहत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ओडिशा विकास कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि ओडिशा 2036 तक एक विकसित राज्य बन जाएगा।

    अपनी आगामी भूमिका के बारे में रघुवर दास ने कहा कि यह पार्टी (भाजपा) तय करेगी कि हमारी अगली भूमिका क्या होगी। उन्होंने कहा कि पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी मैं उसे निभाऊंगा। मैं 1980 के दशक से पार्टी के सदस्य के रूप में काम करते आ रहा हूं, इसलिए पार्टी तय करेगी कि मेरी अगली भूमिका क्या होगी।

    गौरतलब है कि रघुवर दास को पिछले साल 18 अक्टूबर को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। रघुवर दास के अचानक इस्तीफे से राज्य की राजनीति में तेजी आ गई है।

    सबसे सक्रिय राज्यपाल रहे रघुवर दास, लोगों के दर तक हो गई थी राजभवन की पहुंच

    एक वर्ष दो महीने के अपने अल्पकालीन कार्यकाल काल में उन्होंने ओडिशा इतिहास के सबसे सक्रिय राज्यपाल की उपलब्धि अपने नाम दर्ज कर ली है। कार्यभार संभालने के शुरुआत चरण में ही रघुवर दास ने ओडिशा के सभी 30 जिलों का न सिर्फ दौरा किया, लोगों के सुख-दुख के सहभागी बने बल्कि सीधे आम लोगों तक राजभवन की पहुंच बना दी।

    जिलों के दौरे के दौरान चाहे काफिले को रोककर राह चलते लोगों की समस्या सुननी हो या फिर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में चौपाल लगाकर आम लोगों की समस्या का आन द स्पाट समाधान करना हो, चौबीसों घंटे राजभवन के दरवाजे लोगों के लिए खुले रखे।

    अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा उनका एक ही कहना था कि वह राजभवन की चारदीवारी में कैद होने के लिए नहीं आए हैं। महाप्रभु जगन्नाथ जी ने हमें ओडिशा के लोगों की सेवा के लिए यहां भेजा है और मुझे लोगों की सेवा का जो भी अवसर मिलता है, उसे मैं करने से पीछे नहीं हटता। ओडिशा के इतिहास में शायद यह पहली बार था जब कोई राज्यपाल अचानक अपने काफिले को रोक लोगों की समस्या सुनने सुदूर गांव में चला जाए। ऐसे में अचानक जब रघुवर दास के इस्तीफा की खबर सामने आयी तो आम लोग एक प्रकार से सन्न रह गए।

    भुवनेश्वर के समाजसेवी वीरेन्द्र बेताला ने बताया कि इस तरह का राज्यपाल हमने पहले कभी नहीं देखा था। एक आम एवं सहज इंसान की तरह लोगों से मिलना, प्यार भरी बातें करना, लोगों के सुख-दुख में सहभागी बनना यह सब शायद पहली बार हुआ।

    हालांकि, इस छोटे से कार्यकाल के दौरान रघुवर दास के सामने एकाध विवादास्पद घटना भी हुई, जिसमें उनके बेटे पर एएसओ को पीटने का आरोप लगा और चर्चा पूरे देश में हुई। विरोधी पार्टी बीजद एवं कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाने का भी प्रयास किया। परंतु राज्यपाल रघुवर दास ने इस घटना में भी खुद सामने आए और कहा कि इस तरह की घटना में दोषी कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा। कुल मिलाकर रघुवर दास ने अपने अल्पकाल में आम लोगों की जिस प्रकार से सेवा की है, उसे लोग सदैव याद रखेंगे। क्योंकि उन्होंने अपनी कथनी एवं करनी में कभी भी फर्क नहीं आने दिया।

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