Updated: Wed, 31 Jul 2024 06:59 PM (IST)
Odisha News पुरी जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक रत्न भंडार में सुरंग और अन्य रहस्यमय भंडार है या नहीं इसकी जांच की जाएगी। वहीं रत्न भंडार की मरम्मत प्रक्रिया शुरू होने से पहले मॉडर्न तरीके से दोनों आंतरिक और बाहरी रत्न भंडार की जांच के लिए एसओपी तैयार कर ली गई है। जस्टिस रथ ने बताया कि कई पुस्तकों में गुप्त रत्न भंडार का उल्लेख है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पुरी जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक रत्न भंडार में संभावित सुरंग एवं अन्य रहस्यमय भंडार है या नहीं, रत्न भंडार की मरम्मत प्रक्रिया शुरू होने से पहले अत्याधुनिक तरीके से दोनों आंतरिक एवं बाहरी रत्न भंडार की जांच की जाएगी। इसके लिए एसओपी तैयार कर ली गई है।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसपर अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी पुरी जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी पर छोड़ा गया है। रत्नभंडार निगरानी कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में हुई कमेटी की बैठक में रत्न भंडार की जांच, गहनों की मरम्मत, गिनती आदि प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा हुई है।
संदेह खत्म करने के लिए जांच की जाएगी: जस्टिस
कमेटी के सदस्यों ने प्रस्ताव दिया कि रत्न भंडार मरम्मत करने से पहले अत्याधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर चट्टान, दीवार आदि की विस्तृत जांच की जाए, इस पर कमेटी ने अपनी मुहर लगा दी है। अध्यक्ष जस्टिस रथ ने कहा है कि हमने रत्न भंडार मरम्मत करने का निर्णय लिया था।
रत्न भंडार के साथ भक्तों की आस्था जुड़ी है और लोग आशंका कर रहे हैं कि आंतरिक रत्न भंडार के अलावा भी कोई रत्न भंडार है, जहां कुछ अलंकार गुप्त अवस्था में रखा गया है। कई पुस्तकों में भी इस बात का उल्लेख है, ऐसे में इस तरह के संदेह को खत्म करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर जांच की जाएगी।
जस्टिस रथ ने कहा है कि इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अधिकारियों के साथ चर्चा हुई है। कमेटी के निर्णय के बारे में श्रीमंदिर संचालन कमेटी को अवगत कराया है और इस संदर्भ में निर्णय लेकर राज्य सरकार से सिफारिश करने को कहा है। ऐसा होने पर भविष्य में इस पर और कोई संदेह या द्वंद नहीं रहेगा।
मंदिर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग कर जांच प्रक्रिया हो इस पर हम विशेष महत्व दिए हैं। यदि जांच के समय और रत्न भंडार या आभूषणों के बारे में पता नहीं चलता है तो फिर हम आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे। यदि गुप्त खजाने या अन्य अलंकार के बारे में पता चलता है तो फिर प्रक्रिया अलग मोड़ लेगी।
इस संदर्भ में एसओपी तैयार कर हमने मंदिर प्रबंधन कमेटी को देने के साथ ही तत्काल इस दिशा में कदम उठाने के लिए अनुरोध किया है। कमेटी चाहेगी तो फिर जरूरी संशोधन कर राज्य सरकार के पास भेज सकती है। हमने भी इस संदर्भ में तत्काल कदम उठाने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया है।
पुराने तथ्यों के आधार पर होगा अलंकारों का मिलान
रत्नों की मरम्मत होने के बाद गिनती प्रक्रिया शुरू होगी। 1978 के तथ्य के आधार पर अलंकारों का मिलान किया जाएगा। रत्नभंडार अलंकार का विस्तृत तथ्य तैयार किया जाएगा और फिर इसे सार्वजनिक किया जाएगा। जस्टिस रथ ने कहा कि इस दौरान महाप्रभु के दर्शन एवं रीति नीति प्रभावित ना हो, इस पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए छत्तीसानियोग की भी मदद ली जाएगी।
जस्टिस रथ ने कहा कि रत्न भंडार के अलंकारों की मरम्मत एवं गिनती से पहले पुरानी संदूक एवं आलमारी को संरक्षण के दृष्टिकोण से अन्य एक घर में स्थानांतरण किया जाएगा। किस घर में यह स्थानांतरित किया जाएगा, इसका निर्णय श्रीमंदिर प्रबंधन को लेना है।
चाबी गायब होने के मामले में होगी FIR
वहीं, रत्न भंडार जांच कमेटी के सदस्य जगदीश महांती ने कहा है कि रत्न भंडार की चाबी गायब होने के प्रसंग को लेकर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि रत्न भंडार खोलने के समय ताला काटना पड़ा। जो चाबी मिली थी, उससे ताला नहीं खुला। इससे एक बात प्रमाणित हो रही है कि जो चाबी मिली थी वह असली चाबी नहीं थी। चाबी मिल जाने की बात जो कही जा रही थी, वह गलत थी। कानून के अनुसार, यह दंडनीय अपराध है। किसी व्यक्ति ने चोरी का प्रयास किया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।