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    ओडिशा के मोदी, समाजसेवा है प्रताप चंद्र सारंगी का जुनून

    Pratap Chandra Sarangi. ओडिशा में बालेश्वर लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित 64 वर्षीय सांसद प्रताप चंद्र सारंगी को उनकी सादगी के कारण ओडिशा के मोदी कहे जाते हैं।

    By Sachin MishraEdited By: Updated: Thu, 30 May 2019 06:41 PM (IST)
    ओडिशा के मोदी, समाजसेवा है प्रताप चंद्र सारंगी का जुनून

    भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की टिकट पर बालेश्वर लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित 64 वर्षीय सांसद प्रताप चंद्र सारंगी को उनकी सादगी के कारण ओडिशा के मोदी कहे जाते हैं। वह अविवाहित हैं। उनकी मां का बीते साल निधन हो गया। फिलहाल, वह अकेले ही रहते हैं और पूरे समाज को अपना परिवार मानते हैं। बालेश्वर जिला के नीलगिरि के रहने वाले प्रताप के घर के सामने हैंडपंप हैं, जहां पर खुद चलाकर पानी भरते हैं। नहा लेते हैं। पूजा-अर्चना के बाद वह समाज सेवा कार्य में जुटे जाते हैं। भाजपा के लोग बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनसे इतना प्रभावित हैं। समाज सेवा का उन्हें जुनून है। वह मानते हैं कि इसके लिए उपयुक्त प्लेटफार्म राजनीति ही है। 

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    सफेद दाढ़ी, सिर पर सफेद कम बाल, साइकिल, बैग उनकी पहचान है। किसी गरीब का कोई काम होता है तो वह सीधे प्रताप सारंगी की झोपड़ी में जा पहुंचता है। उसे पता है कि यहां पर उसकी शिकायत जरूरी सुनी जाएगी। उनकी यही सादगी, ईमानदारी और कम खर्चे पर जिंदगी बिताना ही लोगों को रास आ गया। इसी के बूते उन्होंने बीजू जनता दल के मजबूत गढ़ को ध्वस्त कर दिया और बीजद रवींद्र कुमार जेना को 12,956 वोटों से हरा दिया। अब प्रताप चंद्र सारंगी की इसी सादगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की संभावित सूची में भी स्थान दिला दिया है। 

    सांसद प्रताप चंद्र सारंगी का जन्म ओडिशा के गरीब परिवार में हुआ है। दुबला-पतला शरीर साधुवेश (श्वेतवस्त्रधारी) में जीवन बिताने वाले सारंगी शुरू से ही धार्मिक और कर्मकांडी प्रवृत्ति के हैं। वह साधु बनना चाहते थे। उनके करीबी लोग बताते हैं कि नीलगिरि फकीर मोहन कालेज में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह साधु बनने के लिए रामकृष्ण मठ चले गए। मठ के लोगों को जब पता चला कि उनकी मां विधवा है तो उनको (प्रताप सारंगी) मां की सेवा करने को कहा गया। इसके बाद उन्होंने विवाह नहीं किया। पूरा जीवन मां व समाज की सेवा में लगा दिया। बच्चों को पढ़ाते भी हैं। समाज सेवा की प्रेरणा को वह मां का आशीर्वाद मानते हैं। उनके परिवार में और कोई नहीं है। वह छोटे से घर में रहते हैं और साइकिल पर चलते हैं। 

    संपत्ति के नाम पर छोटा सा घर है। बीते साल मां का निधन हो गया था। उनकी पार्टी के लोगों का कहना है कि मोदी की पहल के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 2004 से लेकर 2009 तक वह विधायक रह चुके हैं। तब बीजेडी और बी 

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