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    यह खाकर खुद को रखती हैं फिट राष्‍ट्रपति मुर्मू, जानें क्‍या है पाखला भात जिसका ओडिशा में अलग है क्रेज

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Thu, 22 Jun 2023 11:55 AM (IST)

    ओडिशा में लोग बरसों से दादी-नानी के जमाने से पाखला का सेवन करते आ रहे हैं। इसका सेवन बंगाल और बिहार में भी किया जाता है। इसे खाने के ढेर सारे फायदे हैं। पाखला शरीर को एनर्जी देने के साथ-साथ पेट को भी ठंडा रखता है। गर्मियों के दिनों में पुरी के श्रीमंदिर में प्रभु जगन्‍नाथ को दही पखाल का भोग लगाया जाता है।

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    राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पसंदीदा खाना पाखला भात।

    नई दिल्‍ली, अरिजीता सेन। ओडिशा में इन दिनों गर्मी खूब कहर बरपा रही है। कई जिलों में पारा 40 के पार चला गया है। गर्म हवा के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुश्‍किल कर दिया है। ऐसे में पेट को ठंडा, दिल को सुकून और दिमाग को शांत करने के लिए लोग पाखला भात का आनंद ले सकते हैं। यह ओडिशा का एक पारंपरिक व्‍यंजन है, जिसे पूर्वी भारत के कई हिस्‍सों में बड़े ही चाव से खाया जाता है। ओडिशा में इस व्‍यंजन के महत्‍व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि गर्मियों के दिनों में पुरी के श्रीमंदिर में प्रभु जगन्‍नाथ को दही पखाल का भोग लगाया जाता है। 

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    पाखला भात बनाने की विधि

    पाखला भात बनाने के लिए सबसे पहले चावल को अच्‍छे से धोकर उसे पका लीजिए और फिर उसे रात भर पानी में भिगोंकर रख दीजिए। अब अगले दिन जब इसमें खमीर आ जाए, तो इसमें आधा कटोरी दही मिला लीजिए। फिर एक पैन में अलग से तेल गर्म कर इसमें राई, कड़ी पत्ते और सुखी लाल मिर्च का तड़का लगाएं और इसे दही मिलाए चावल में डाल दें। अब आप अपने स्वादानुसार इसमें नमक, नींबू और मीठा डालकर इसे परोसे।

    वैसे पाखला भात बनाने के लिए अधिकतर लोग एक दिन पहले के बचे हुए चावल का भी इस्‍तेमाल करते हैं। ओडिशा के साथ-साथ बंगाल में भी इसका काफी प्रचलन है क्‍योंकि कभी बंगाल, बिहार, ओडिशा एक ही प्रांत थे। रात के बसे बासी चावल को ठंडे पानी में भिगोंकर इसे सरसों का तेल, नमक, कटा हुआ प्‍याज और हरी मिर्च के साथ भी खाया जाता है।

    कई बार लोग पाखला भात के साथ खाने के लिए साइड डिश के रूप में मछली फ्राई, साग भाजा, आलू भर्ता या प्‍याज की भुजिया या आलू, बैंगन भाजा व कई अन्‍य तरह के पकौड़ों के साथ भी खाते हैं।

    बंगाल में इसे पांता भात कहते हैं। कई जगह लोग भीगे हुए चावल में नींबू निचोंड के या पुदीना पत्‍ता डालकर खाते हैं। कुल मिलाकर लोग अपनी-अपनी पसंद और खानपान की आदतों के हिसाब से इसे अपने हिसाब से बनाकर बड़े ही चाव से खाते हैं। 

    पाखला भात के फायदें

    • सबसे पहले तो जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि पाखला भात पेट को ठंडा रखता है।
    • यह प्रोबायोटिक्स से भरपूर है।
    • शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में इसका कोई सानी नहीं है।
    • यह पाचन तंत्र को ठीक रखता है। 
    • यह आंत में संक्रमण की समस्या को रोकने में कारगर है। 
    • यह एंटीवायरल पेप्टाइड्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। 
    • यह शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाता है। 
    • यह कब्‍ज से राहत दिलाने में मददगार है।
    • यह  कुपोषण, एचआईवी आदि बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद है।
    • यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। 
    • इससे शरीर को काफी एनर्जी भी मिलती है और वजन कंट्रोल में रहता है।
    • यह काफी लंबे समय तक पेट को भरा हुआ रखता है।  

    राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पसंदीदा खाना

    महामहिम राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बेहद सादगी से जीवन जीने वाली इंसान हैं और उन्‍हें उड़िया खाना पाखला भात बेहद पसंद हैं। उन्‍हें यह इतना पसंद है कि इसे राष्‍ट्रपति भवन के मेन्‍यु में भी शामिल किया गया है। उनके अलावा, ओडिशा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक को भी पाखला भात खाना बेहद पसंद है। यह उनके भी पसंदीदा खानों में से एक है। 

    ओडिशा में पाखला दिवस

    पाखला का चलन वैसे तो बहुत पुराने दिनों से हैं, लेकिन आधुनिक युग में इसे बढ़ावा देने, इसे खाने की परंपरा को बनाए रखने और नई पीढ़ी के बीच इसे लोकप्रिय करने के लिए ओडिशा में हर साल 20 मार्च को पखाल दिवस मनाया जाता है।  इस दौरान पखाल भात को एक कटोरे में केले के पत्‍तों में रखकर परोसा जाता है और साथ में कई सारी साइड डिश रहती हैं। इस दिन ओडिशा के घर-घर में लोग पखाल का बड़े ही चाव से आनंद लेते हैं।