गेंदे और आम के पत्तों से बैक्टीरिया का खात्मा: NIT राउरकेला की नई खोज
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला के वैज्ञानिकों ने गेंदे और आम के पत्तों से नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग करके बैक्टीरिया को खत्म करने का एक नया तरीका खोजा है। यह पर्यावरण के अनुकूल तकनीक कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है, जो रासायनिक विधियों का बेहतर विकल्प है। यह फसलों को बचाने और संक्रमणों को रोकने में सहायक है।

गेंदे और आम के पत्तों से खत्म होगा बैक्टीरिया
जागरण संवाददाता, राउरकेला। एनआईटी राउरकेला के वैज्ञानिकों ने पौधों से ऐसा इलाज तैयार किया है, जो ताकतवर बैक्टीरिया को भी खत्म कर सकता है। यह तरीका खासकर उन जीवाणुओं पर असर करता है जो अब एंटीबायोटिक दवाओं से नहीं मरते।
संस्थान के जीवन विज्ञान विभाग की टीम ने गेंदे के फूल, आम और यूकैलिप्टस के पत्तों के रस से बेहद सूक्ष्म जिंक आक्साइड नैनोकण बनाए हैं। ये नैनोकण बैक्टीरिया की कोशिकाओं पर सीधा हमला कर उन्हें नष्ट कर देते हैं।
गेंदे के फूलों से बने कण रासायनिक तरीके से बने कणों की तुलना में करीब दो गुना ज्यादा असरदार पाए गए।यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल सरफेसेस एंड इंटरफेसेस में प्रकाशित हुआ है।
एनआईटी राउरकेला के जीवन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं शोध परियोजना के मुख्य अन्वेषक प्रोफेसर सुमन झा के निर्देशन में यह शोध शुभम कुमारी, सोनाली जेना और मोनालिशा ओझा ने किया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है और भारत के स्वदेशी पौधों से बनाई जा सकती है। इससे भविष्य में सस्ती, सुरक्षित और टिकाऊ दवाएं विकसित किए जाने की संभावना बढ़ेगी।
पौधों से बने इन हरित नैनोकणों में प्राकृतिक औषधीय गुण हैं। यह नई पीढ़ी के ऐसे पदार्थ बनाने की दिशा में कदम है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना इंसानों की सेहत की रक्षा कर सकें।- प्रोफेसर सुमन झा, एसोसिएट प्रोफेसर और मुख्य अन्वेषक, जीवन विज्ञान विभाग, एनआईटी राउरकेला
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