मृत्यु के मुहाने पर आस्था की जीत, मंदिर के शिखर ने बचाई महिला की जान, जानिए महानदी में चमत्कारिक बचाव की कहानी
ओडिशा में महानदी नदी में एक महिला की जान चमत्कारिक रूप से बच गई। झारसुगुड़ा और संबलपुर को जोड़ने वाले रामपेला पुल के पास सावित्री मेहर फिसलकर नदी में ...और पढ़ें

महानदी के बीच में नदी से लिपटी युवती को बचाने के लिए नाव पर सवार होकर पहुंचे लोग।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। कभी-कभी जीवन ऐसे मोड़ पर आ खड़ा होता है, जहां विज्ञान मौन हो जाता है और आस्था स्वयं उत्तर बन जाती है। गुरुवार को ओडिशा की जीवनरेखा कही जाने वाली महानदी में घटी एक घटना ने यही संदेश दिया।
गहरे जल में गिरने के बाद एक महिला की जान चमत्कारिक रूप से बच गई और इसका कारण बना हीराकुद बांध के जलाशय में आंशिक रूप से डूबा एक प्राचीन मंदिर का शिखर।
यह घटना रामपेला पुल के पास हुई, जो झारसुगुड़ा और संबलपुर जिलों को जोड़ता है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ब्रजराजनगर के ईंट भट्टा निवासी सावित्री मेहर अचानक पुल से फिसलकर महानदी के जलाशय में जा गिरीं।
यह घटना रामपेला पुल के पास हुई, जो झारसुगुड़ा और संबलपुर जिलों को जोड़ता है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ब्रजराजनगर के ईंट भट्टा निवासी सावित्री मेहर अचानक पुल से फिसलकर महानदी के जलाशय में जा गिरीं।
नीचे अथाह और उफनता पानी, ऊपर भय और असहायता। क्षण भर में हालात जानलेवा हो गए। गहरे पानी में गिरते ही सावित्री ने खुद को संभालने की कोशिश की।
वह डूबने लगीं, सांसें टूटने लगीं और मदद के लिए उनकी चीखें हवा में गूंज उठीं। उसी संघर्ष के बीच, जब मृत्यु बेहद करीब महसूस होने लगी, उनकी नजर पानी से ऊपर उभरे एक मंदिर के शिखर पर पड़ी।
यह वही प्राचीन मंदिर था, जो वर्षों से बढ़ते जलस्तर के कारण महानदी के गर्भ में समा चुका है। कहते हैं, जब जीवन की डोर टूटने को होती है, तब उम्मीद की एक किरण ही सहारा बनती है।
सावित्री ने पूरी ताकत समेटी, तैरते हुए उस शिखर तक पहुंचीं और दोनों हाथों से उसे कसकर पकड़ लिया। तेज बहाव और ठंडे पानी के बीच वह शिखर उनके लिए पत्थर नहीं, बल्कि जीवन का स्तंभ बन गया।
सूचना मिलते ही बनहरपाली थाना पुलिस और स्थानीय मछुआरे मौके पर पहुंचे। नाव की मदद से सावित्री को सुरक्षित बाहर निकाला गया। नदी से बाहर निकलते ही आसपास मौजूद लोग राहत की सांस लेते नजर आए।
सूचना मिलते ही बनहरपाली थाना पुलिस और स्थानीय मछुआरे मौके पर पहुंचे। नाव की मदद से सावित्री को सुरक्षित बाहर निकाला गया। नदी से बाहर निकलते ही आसपास मौजूद लोग राहत की सांस लेते नजर आए।
उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उनकी हालत स्थिर और खतरे से बाहर बताई। घटना के बाद पूरे इलाके में यह खबर चर्चा का विषय बन गई।
स्थानीय लोग इसे दैवीय चमत्कार मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस मंदिर को समय और पानी ने ढक दिया था, वही मंदिर एक जीवन को बचाने का माध्यम बन गया। जब ईश्वर रक्षा पर हों, तो कोई शक्ति नुकसान नहीं पहुंचा सकती, यह वाक्य हर जुबान पर सुनाई दे रहा है।
हालांकि, इस घटना को लेकर पुलिस या पीड़िता की ओर से कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन यह सच है कि महानदी की लहरों के बीच घटा यह दृश्य लंबे समय तक लोगों की स्मृति में बना रहेगा।
हालांकि, इस घटना को लेकर पुलिस या पीड़िता की ओर से कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन यह सच है कि महानदी की लहरों के बीच घटा यह दृश्य लंबे समय तक लोगों की स्मृति में बना रहेगा।

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