Odisha News: यौन उत्पीड़न पर कार्रवाई न होने से छात्रा ने की आत्महत्या, सुप्रीम कोर्ट ने जताया दुख
ओडिशा में यौन उत्पीड़न के आरोप पर कार्रवाई न होने से निराश होकर एक 20 वर्षीय बीएड छात्रा ने आत्मदाह कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को शर्मनाक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाएं दुखद हैं और इसके लिए हम शर्मिंदा हैं। कोर्ट ने महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर सुझाव मांगे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। यौन उत्पीड़न के आरोप पर कार्रवाई न होने के विरोध में ओडिशा की 20 वर्षीय बीएड छात्रा द्वारा आत्मदाह करने की घटना को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 'शर्मनाक' करार दिया है।
इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह बेहद दुखद है कि आज के समय में भी ऐसा हुआ है और हम इसके लिए शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। कोर्ट ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर महिला सशक्तीकरण के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर सुझाव भी मांगे।
यौन उत्पीड़न के आरोप पर कोई कार्रवाई न होने पर बालासोर के फकीरमोहन कॉलेज की बीएड छात्रा ने प्रिंसिपल कार्यालय के सामने शरीर पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली और 95 फीसदी जलने के कारण अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, ऐसी घटनाएं हमें शर्मिंदा कर रही हैं और हमें विभिन्न वर्गों से सुझाव चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। हम केंद्र सरकार समेत विभिन्न पक्षों से सुझाव मांग रहे हैं।
गौरतलब है कि महिलाओं, बच्चों और ट्रांसजेंडर समुदायों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बालासोर की छात्रा के आत्मदाह का मुद्दा उठाया गया।
इस दौरान वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवन ने दलील दी कि हालात बदलने के लिए ऐसी घटनाओं से सीख लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है। ओडिशा में छात्रा की आत्महत्या के मामले में पवन ने कहा कि पीड़िता लगातार न्याय के लिए लड़ रही थी लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बिक्रमजीत बनर्जी ने कोर्ट को बताया कि यौन अपराधियों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया गया है।
हाईकोर्ट में पेश की गई जांच स्टेटस रिपोर्ट
वहीं, बालेश्वर फकीरमोहन कॉलेज की छात्रा के आत्मदाह की घटना में सरकार की ओर से क्राइम ब्रांच की जांच स्थिति रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी गई है। मुख्य न्यायाधीश हरीश टंडन और न्यायमूर्ति मानस रंजन पाठक की खंडपीठ में अधिवक्ता शिवशंकर मोहंती द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पीतांबर आचार्य ने सीलबंद लिफाफे में जांच स्थिति रिपोर्ट पेश की।
आचार्य ने कहा कि क्राइम ब्रांच ने घटना की जांच की है और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट देखने के बाद जांच पर संतोष जताया।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में मामले की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच दल) गठित करने की कोई जरूरत नहीं है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मामले की अगली सुनवाई के दौरान जांच की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
वहीं, याचिकाकर्ता मोहंती ने दलील दी थी कि घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा बुलाया गया बंद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। राजनीतिक दलों के आह्वान पर जगह-जगह बंद आयोजित किए गए।
आम लोगों को परेशान किया गया। लोगों का अस्पताल पहुंचना नामुमकिन हो गया था। इसी तरह, एक नाबालिग लड़की को आग लगाकर उसकी हत्या के प्रयास की घटना के बाद, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता एम्स की बर्न यूनिट के सामने जमा हो गए और विरोध प्रदर्शन किया। नतीजतन, अशांति का माहौल बन गया।
एम्स में इलाज के लिए आए मरीजों और उनके परिजनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस और बीजू जनता दल को नोटिस जारी किया है।
मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। मामले में राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, यूजीसी, ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, बीजू जनता दल के अध्यक्ष को पक्ष बनाया गया है।
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