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    Odisha: भार्गवी नदी के तट पर मिला 15वीं सदी के मंदिर का खंडहर, जानिए इसका इतिहास

    By Aysha SheikhEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Sat, 19 Aug 2023 11:00 AM (IST)

    Odisha News विरासत स्मारक सत्यबादी ब्लॉक में आनंदपुर गांव के पास भार्गवी नदी के तट पर 15वीं शताब्दी के एक प्राचीन मंदिर का खंडहर पाया गया हैं। पत्थर क ...और पढ़ें

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    Odisha: भार्गवी नदी के तट पर मिला 15वीं सदी के मंदिर का खंडहर, जानिए इसका इतिहास

    शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। भार्गवी नदी के तट पर 15वीं शताब्दी के एक प्राचीन मंदिर का खंडहर पाया गया हैं। खंडहर विरासत स्मारक सत्यबादी ब्लॉक में आनंदपुर गांव के पास नदी के तट के समीप मिला है।

    शोधकर्ताओं ने कहा कि पाया गया पत्थर किसी मंदिर के प्रवेश द्वार की ऊपरी हिस्से वाली चट्टान है। पत्थर के खंडों में उकेरे गए शिलालेखों से यह सोमवंशी राजाओं के शासनकाल के दौरान बनाए गए मंदिर का खंडहर लग रहा है।

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    इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आईएनटीएसीएच), एक विरासत अनुसंधान संगठन ने 15वीं शताब्दी के एक प्राचीन मंदिर के खंडहर की खोज की है।

    गजलक्ष्मी की मूर्ति

    इनटाक कटक शाखा के नायक ने कहा कि गजलक्ष्मी की मूर्ति को गेट के ऊपरी हिस्से पर या कटाई की चट्टान पर उकेरा गया है। ऊपरी भाग तीन किनारों का है, जिसमें ऊपरी छोर से पहले किनारे पर जलपत्र, बीच में गंधर्व और विद्याधर, और नीचे एक डाली किनारा है।

    सोमवंशियों और पूर्वी गंगावंशियों के शासनकाल के दौरान ओडिशा में ऐसे मंदिर पाए जाते हैं।

    स्थानीय निवासी ने क्या बताया?

    स्थानीय निवासी नारायण पंडा ने कहा कि जिस जगह पर चट्टान पड़ी थी, उसे पहले शसनबाड़ी के नाम से जाना जाता था। उन्होंने कहा कि उन्होंने उनके पूर्वजों से सुना था कि उस स्थान पर एक गोपीनाथ मंदिर था।

    यह संभव है कि जब भार्गवी नदी में बाढ़ आई थी, तो प्राचीन मंदिर नदी के पानी में बह गया था। शायद यही वजह है कि आज भी नदी के आसपास के क्षेत्रों से उसी मंदिर के पुराने शिलालेख पाए जाते हैं।

    चट्टान को तुलसी चौरा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि कुछ साल पहले यहां से एक प्राचीन बौद्ध मूर्ति भी बरामद की गई थी और इसे पास के बालपुर बालुंकेश्वर महादेव के मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया था।

    भार्गवी नदी के किनारे छिपे हुए कई प्राचीन विरासत खंडहर

    इनटाक भुवनेश्वर शाखा के संयोजक अनिल धीर ने कहा है कि भार्गवी नदी के किनारे के गांवों में कई प्राचीन विरासत खंडहर छिपे हुए हैं। अगर राज्य पुरातत्व विभाग ने इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का पता लगाने का प्रयास किया होता तो ओडिशा के इतिहास के बारे में कई अनकहे तथ्य सामने आते।