ओडिशा की सड़कों पर आवारा पशु बने जानलेवा, 3 साल में 1601 लोगों की हुई मौतें
ओडिशा में आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। पिछले तीन वर्षों में 1601 लोगों की मौतें हुई हैं। सरकार अब इस समस्या से निपटने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर रणनीति बनेगी गोशालाएं खोली जाएंगी और पशु मालिकों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा में सड़कों पर घूमते आवारा पशु अब बड़ी समस्या बन चुके हैं। पिछले तीन सालों (2022-24) में राज्य में हुई 17,348 सड़क दुर्घटनाओं में 1601 लोगों की मौत सीधे-सीधे गाय, बैल और कुत्तों जैसे पशुओं से टकराने के कारण हुई है।
यानी सड़क हादसों में हर साल होने वाली मौतों में 9.22 प्रतिशत मौतों के पीछे आवारा पशु जिम्मेदार हैं। सिर्फ इंसान ही नहीं, इन हादसों में 331 पशुओं की भी जान गई है।
सरकार ने सड़क डिजाइन और सुरक्षा इंतजामों में सुधार तो किए, लेकिन अचानक सड़क पर आ खड़े होने वाले इन पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं पर अब तक काबू नहीं पाया जा सका।
साल-दर-साल बढ़ता खतरा
- 2022- 11,663 सड़क हादसे, 5,467 मौतें। इनमें 952 हादसे आवारा पशुओं से हुए, 521 लोगों की मौत।
- 2023- 11,992 सड़क हादसे, 5,739 मौतें। 1,168 हादसे आवारा पशुओं से, 643 मौतें।
- 2024- 12,375 सड़क हादसे, 6,142 मौतें। 903 हादसे आवारा पशुओं से, 437 मौतें।
सरकार अब मिशन मोड में
वाणिज्य एवं परिवहन विभाग ने इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए अब मिशन मोड में काम शुरू करने का फैसला किया है। विभाग की प्रमुख सचिव उषा पड्ढी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में कई अहम फैसले लिए गए।
बैठक में तय हुआ कि राष्ट्रीय राजमार्गों के संवेदनशील हिस्सों की पहचान कर रणनीति बनाई जाएगी। आवारा पशुओं को गोशालाओं में शिफ्ट करने और नई गौशालाएं खोलने की योजना बनेगी।
हादसा-प्रवण इलाकों में बैरिकेडिंग और नियंत्रण व्यवस्था होगी। पशु मालिकों से जुर्माना वसूला जाएगा। मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स के जरिए पशुओं को स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।
ग्रामीण और शहरी लोगों को सड़क किनारे पशु न छोड़ने के लिए जागरूक किया जाएगा। प्रमुख सचिव उषा पड्ढी ने कहा कि सड़क पर घूमते आवारा पशु सिर्फ एक समस्या नहीं बल्कि जीवन के लिए खतरा हैं। यात्रियों और पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत मॉडल लागू किया जाएगा।
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