ओडिशा की जेल से 17 खतरनाक कैदी फरार, हाईकोर्ट ने DG को लगाई फटकार; देना होगा संशोधित हलफनामा
ओडिशा की एक जेल से 17 खतरनाक कैदी फरार हो गए, जिसके बाद हाईकोर्ट ने महानिदेशक (डीजी) को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने डीजी को संशोधित हलफनामा दाखिल करन ...और पढ़ें

हाईकोर्ट ने DG को लगाई फटकार। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। खुर्दा जिले के जमुझरी स्थित बीजू पटनायक मुक्ताकाश आश्रम (कारागार) से 17 आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों के फरार होने के मामले को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।
जेल डीजी की ओर से अतिरिक्त डीजी द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे पर असंतोष जताते हुए हाईकोर्ट ने इसे तथ्यों से रहित बताया और जेल डीजी को स्वयं संशोधित हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि फरार कैदियों की गिरफ्तारी के लिए अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं और ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदार जेल अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है, इसका स्पष्ट विवरण हलफनामे में होना चाहिए।
अदालत ने यह भी कहा कि मुक्ताकाश आश्रम से फरार कैदियों और पैरोल पर जाकर वापस न लौटने वाले बंदियों की गिरफ्तारी के मामले में प्रशासन की उदासीनता गंभीर चिंता का विषय है।
सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों के अनुसार, याचिकाकर्ता मुनसी भुए 19 जून 2018 को मुक्ताकाश आश्रम से फरार हुआ था। इसके दो दिन बाद 21 जून को जेल अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर चंदका थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।
पुलिस ने मामले की जांच पूरी कर 27 अगस्त 2025 को चार्जशीट दाखिल की, जबकि भुवनेश्वर जेएमएफसी(ओ) अदालत ने 8 अगस्त 2025 को मुनसी के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। बावजूद इसके, लंबे समय तक वारंट पर अमल नहीं हो सका।
आखिरकार 13 दिसंबर को मुनसी को बरगढ़ जिले में उसके गांव से गिरफ्तार किया गया। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि 2018 के मामले में 2025 में जांच पूरी होना और फिर गिरफ्तारी वारंट को लागू करने में चार महीने से अधिक समय लगना यह दर्शाता है कि संबंधित प्राधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अदालत ने उम्मीद जताई कि अन्य आजीवन कारावास प्राप्त फरार कैदियों के मामलों को भी प्रशासन समान गंभीरता से लेगा।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि जेल डीजी द्वारा संशोधित हलफनामा दाखिल किए जाने के बाद जनवरी के तीसरे सप्ताह में मामले की अगली सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति संगम कुमार साहू और न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास की खंडपीठ ने मुनसी भुए की जेल क्रिमिनल अपील की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

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