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    ओडिशा में 7 हजार से अधिक बच्चे लापता, नाबालिग लड़कियों की संंख्या चिंताजनक

    By SHESH NATH RAIEdited By: Krishna Bahadur Singh Parihar
    Updated: Tue, 23 Dec 2025 08:21 AM (IST)

    ओडिशा में 7 हजार से अधिक बच्चे लापता हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत नाबालिग लड़कियां हैं। राज्य में मानव तस्करी की समस्या गंभीर बनी हुई है और इस पर लगाम लग ...और पढ़ें

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     सात वर्षों में राज्य से कुल 25,438 बच्चे लापता। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राज्य में नाबालिग बच्चों, खासकर लड़कियों के लापता होने की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही हैं। पिछले सात वर्षों में राज्य से कुल 25,438 बच्चे लापता हो चुके हैं।

    वर्ष 2023 में ही 5,928 बच्चों के लापता होने के मामले सामने आए। आंकड़ों के अनुसार अब तक 7,272 बच्चों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है, जिनमें 6,497 नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। यानी लापता बच्चों में करीब 90 प्रतिशत लड़कियां हैं।

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    सूत्रों के मुताबिक लापता नाबालिग लड़कियों को मानव तस्करी के जरिए पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और कर्नाटक ले जाया जा रहा है। यह नेटवर्क लगातार सक्रिय है और प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद इस पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है।

    मानव तस्करी रोकने के लिए राज्य के 36 पुलिस जिलों में इंटीग्रेटेड एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की स्थापना की गई है। इसके साथ ही क्राइम ब्रांच ने 2015 से 2019 के बीच ऑपरेशन स्माइल, मुस्कान और परी जैसी योजनाएं भी शुरू की थीं। बावजूद इसके नाबालिग बच्चियों के लापता होने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

    आंकड़ों पर एक नजर

    आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 से 2023 के बीच कटक, ढेंकानाल, गंजाम और जाजपुर जिलों से सबसे अधिक बच्चे लापता हुए हैं। वर्ष 2022 में 4,757 बच्चे लापता हुए, जिनमें 507 नाबालिग लड़के और 4,250 नाबालिग लड़कियां थीं। वर्ष 2021 में 4,133 बच्चे लापता हुए, जिनमें 477 लड़के और 3,656 लड़कियां शामिल थीं।

    वर्ष 2020 में 2,899 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई, जिनमें 343 नाबालिग लड़के और 2,556 नाबालिग लड़कियां थीं। वहीं 2019 में 3,151 बच्चे लापता हुए, जिनमें 560 लड़के और 2,591 लड़कियां थीं। 2018 में यह संख्या 2,326 रही, जबकि 2017 में 2,244 बच्चे लापता हुए थे।

    हालांकि ओडिशा पुलिस हर साल लापता बच्चों की बरामदगी के लिए अभियान चला रही है, लेकिन हर साल आंकड़ों में हो रही बढ़ोतरी ने सरकार और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि मानव तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण, सीमावर्ती इलाकों में सख्त निगरानी और सामाजिक जागरूकता के बिना इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है।