'भक्तों के कल्याण के लिए हो श्रीजगन्नाथ की भू-संपत्ति का उपयोग', ओडिशा हाईकोर्ट की टिप्पणी
ओडिशा हाईकोर्ट ने महाप्रभु जगन्नाथ की जमीन के उपयोग पर एक रिव्यू पिटिशन खारिज करते हुए कहा कि इसका उपयोग व्यक्तिगत लाभ के बजाय जनकल्याण के लिए होना चाहिए। कोर्ट ने पुरी में श्रद्धालुओं के लिए कम कीमत पर आवास उपलब्ध कराने की बात कही जिससे तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी और महाप्रभु जगन्नाथ की संपत्ति भी सुरक्षित रहेगी।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। जमीन महाप्रभु जगन्नाथ की है... इसका उपयोग व्यक्तिगत लाभ के बजाय जनकल्याण के लिए प्राथमिकता के साथ किया जाना चाहिए। मंगलवार को महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की भू-संपत्ति के उपयोग को लेकर एक रिव्यू पिटिशन की सुनवाई करते हुए ओडिशा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। इसके साथ ही कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने कहा, "अतिथि गृह पुरी आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को कम कीमत पर आवास उपलब्ध कराएगा। इससे तीर्थयात्रियों को सुविधा मिलने के साथ-साथ महाप्रभु जगन्नाथ की अचल संपत्ति की भी सुरक्षा होगी।" इसलिए व्यक्तिगत लाभ के बजाय श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर संपत्ति के उपयोग को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है हाईकोर्ट ने।
महाप्रभु की जमीन के उपयोग से संबंधित श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा लिए गए निर्णय को भी उच्च न्यायालय ने सही ठहराया है। पुरी शहर की मूल्यवान जमीन पर भक्त निवास निर्माण के लिए श्रीमंदिर प्रबंधन समिति ने 2017 में निर्णय लिया था। इसे कोर्ट ने उचित बताया और कहा कि यह कदम मंदिर प्रशासन एवं संपत्ति संरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप है।
कुछ दिन पहले कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा था कि राज्य के बाहर स्थित महाप्रभु की जमीन को वापस लाया जाएगा। इसके लिए दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। महाप्रभु की कुल 58 हजार एकड़ जमीन राज्य और राज्य के बाहर है। इनमें से 36 से 37 हजार एकड़ जमीन के कागज तैयार करने की प्रक्रिया भी जारी है। महाप्रभु की भू-संपत्ति जहां-जहां है, उसका सही आकलन करने के लिए सरकार काम कर रही है।
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