Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छात्र आत्महत्या मामले पर ओडिशा हाईकोर्ट का सख्त रुख, KIIT विश्वविद्यालय की याचिका खारिज

    By SHESH NATH RAIEdited By: Shashank Baranwal
    Updated: Mon, 15 Dec 2025 11:56 PM (IST)

    ओडिशा उच्च न्यायालय ने छात्र आत्महत्या मामले में KIIT विश्वविद्यालय की याचिका खारिज कर दी है. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय के ...और पढ़ें

    Hero Image

    ओडिशा हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। भुवनेश्वर स्थित केआईआईटी विश्वविद्यालय परिसर में बार-बार सामने आ रहे छात्र आत्महत्या मामलों को लेकर ओडिशा हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए शो-कॉज नोटिस को रद्द करने से साफ इनकार कर दिया है और मामले को आगे बढ़ाने की अनुमति दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने कहा कि छात्र आत्महत्या एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह ओडिशा के सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों से विस्तृत अनुपालन (कम्प्लायंस) रिपोर्ट तलब करे।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केआईआईटी सहित राज्य के हर विश्वविद्यालय को यह बताना होगा कि परिसर में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उन्होंने क्या ठोस कदम उठाए हैं।

    न्यायमूर्ति संजीब कुमार पाणिग्राही द्वारा इस महीने की 12 तारीख को पारित आदेश के अनुसार, 9 सितंबर को केआइआइटी को जारी शो-कॉज नोटिस में छह प्रमुख खामियों की ओर इशारा किया गया था।

    इनमें छात्रों के लिए पर्याप्त शिकायत निवारण तंत्र का अभाव, मानसिक तनाव से जूझ रहे छात्रों के लिए अपर्याप्त काउंसलिंग सुविधाएं, छात्रावास (हॉस्टल) ढांचे की कमी, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की समस्याओं के अनुचित समाधान और सुरक्षा कर्मियों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग के आरोप शामिल हैं।

    नोटिस में इन खामियों के लिए जवाबदेही तय करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर भी स्पष्टीकरण मांगा गया था। केआइआइटी ने इस नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और मामले को खारिज करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

    हालांकि, यह ध्यान में रखते हुए कि केआईआईटी पहले ही अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर चुका है, कोर्ट ने फिलहाल किसी भी प्रकार की दमनात्मक (कोर्सिव) कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।

    शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जहां संस्थानों की जिम्मेदारी छात्रों के मानसिक और शारीरिक कल्याण की है, वहीं सरकार का भी दायित्व है कि वह सख्त निगरानी और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे। बीते एक वर्ष में केआईआईटी में तीन छात्रों की मौत की खबरों के बाद अब राज्य सरकार को सौंपी गई अनुपालन रिपोर्ट की प्रकृति और उसकी प्रभावशीलता पर सबकी नजरें टिकी हैं।

    शिक्षाविद आर.एन. पंडा ने कहा कि राज्य सरकार ही अनुमति देती है, इसलिए शैक्षणिक संस्थानों की निगरानी करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके अलावा, संस्थानों को बाहर से भारी अनुदान मिलता है और सरकार की ओर से भी छात्रों के आवास और अध्ययन सुविधाओं के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। यदि कोई शैक्षणिक संस्थान निर्धारित मानकों से भटकता है, तो उसकी संबद्धता रद्द कर देनी चाहिए।