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    बेटी की सजा परिवार को! लड़की ने दूसरे जाति से लड़के से किया प्रेम विवाह, प्रतीकात्मक शव के साथ अंतिम यात्रा

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 07:57 PM (IST)

    ओडिशा के गंजाम जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। एक परिवार ने अपनी बेटी के दूसरी जाति में प्रेम विवाह करने पर उसका प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार किया। केले के पेड़ को शव की तरह सजाकर राम नाम सत्य है के नारे लगाते हुए पूरे गांव में जुलूस निकाला गया। परिवार पर समाज ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया और शुद्धिकरण करने का आदेश दिया।

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    लड़की ने दूसरे जाति से लड़के से किया प्रेम विवाह

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। “राम नाम सत्य है… हरि नाम सत्य है…” – यह आवाज़ आमतौर पर तब सुनाई देती है जब कोई शव अंतिम संस्कार के लिए श्मशान की ओर ले जाया जाता है। लेकिन गंजाम जिले के कबीसूर्यनगर के बलियापल्ली में एक अजीबोगरीब घटना देखने को मिली।

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    वहां परिजनों ने प्रतीकात्मक शव रखकर ऐसा आयोजन किया कि रास्ते से गुजरने वाले लोग हैरान रह गए। यह घटना अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। न सिर्फ ओडिशा, बल्कि बाहर के राज्यों में भी इस पर चर्चा हो रही है।

    दूसरी जाति के लड़के से प्रेम विवाह करने पर बेटी के पिता को समाज ने दंडित किया। 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही बेटी के जीवित रहते हुए भी शुद्धिकरण करने का आदेश दिया गया। कबीसूर्यनगर थाना क्षेत्र से सामने आई यह घटना बेहद संवेदनशील मानी जा रही है।

    अन्य जाति में विवाह करने पर लड़की का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार कर डाला उसके माता-पिता ने। बेटी की शादी से नाराज़ परिवार और समाज ने यह कठोर कदम उठाया। केले के पेड़ को शव की तरह सजाया गया, उसे नए कपड़े पहनाए गए और ढोल-नगाड़ों के साथ “राम नाम सत्य है” कहते हुए पूरे गांव में जुलूस निकाला गया।

    गंजाम जिले के बलियापल्ली की यह घटना लोगों को स्तब्ध कर गई। वीडियो वायरल होने के बाद बुद्धिजीवी वर्ग में इसकी तीव्र निंदा हो रही है।

    मिली जानकारी के अनुसार, गांव के ही एक युवक और युवती के बीच प्रेम संबंध बना था। जब लड़की के परिवार को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने थाने में शिकायत की, जिसके बाद प्रेमी युवक को गिरफ्तार किया गया। बाद में वह जमानत पर छूट गया।

    परिवार की मनाही के बावजूद दोनों ने रजिस्ट्री विवाह कर लिया। इसके बाद लड़की के पिता पर समाज का दबाव और उत्पीड़न बढ़ता गया। पहले तो उन्हें पुरी जाकर लुंडा (सामाजिक शुद्धिकरण) संस्कार करने का आदेश दिया गया।

    तीन दिन पहले केले के पेड़ से प्रतीकात्मक संस्कार कराया गया। साथ ही 12 दिन का शुद्धिकरण पालन करने और 50 हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया गया। सभ्य समाज में इस तरह की परंपरा लोगों को गहराई से व्यथित कर रही है।

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