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    Odisha Day 2022: एक अप्रैल वर्ष 1936 में भाषा के आधार पर हुआ था उत्कल प्रांत का गठन, अंग्रेजी नाम था ओरिशा

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Thu, 31 Mar 2022 01:26 PM (IST)

    Odisha Day अपनी समृद्ध भाषा साहित्य कला व संस्कृति तथा विशेष खाद्य व्यंजन के लिए ओडिशा की आज पूरी दुनिया में विशेष पहचान है। उत्कल प्रांत का गठन होने के बाद से ओरिशा (ओडिशा) दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हुआ

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    Odisha Day 2022: 1 अप्रैल को उत्कल दिवस या ओडिशा दिवस मनाया जाता है।

    भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। पूरे ओडिशा में हर साल 1 अप्रैल को उत्कल दिवस या ओडिशा दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1936 में एक अप्रैल को देश के प्रथम भाषा आधारित राज्य के तौर पर उत्कल प्रांत का गठन हुआ था। जिसका अंग्रेजी में नाम ओरिशा (ओडिशा) था। स्वतंत्र उत्कल प्रांत बनाने में उत्कल गौरव मधुसूदन दास, उत्कलमणि गोपबंधु दास, महाराज कृष्ण चंद्र गजपति, भक्तकवि मधुसूदन राव, पंडित नीलकंठ दास, व्यास कवि फकीर मोहन सेनापति, गंगाधर मेहेर एवं कवि राधानाथ राय प्रमुख की भूमिका अतुलनीय रही।

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    जानकारी के अनुसार उत्कल गौरव मधुसूदन दास ने सन 1903 में ओडिआ भाषा की सुरक्षा एवं राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास का उद्देश्य लेकर उत्कल सम्मेलनी का गठन किया था। इसके बाद सम्मेलनी के सदस्यों को ओडिआ भाषा के प्रति जागृत करने में जुट गए और भाषा के आधार पर उत्कल प्रांत के गठन की मांग तेज कर दी। इसमें पूरे प्रांत से लोगों का समर्थन मिलने लगा। 1920 में उत्कल सम्मेलनी की ओर से कांग्रेस अधिवेशन में ओडिआ को भाषा आधारित एक राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया गया। इस प्रस्ताव पर एक अप्रैल 1936 को मुहर लग गई और ओडिशा एक स्वतंत्र भाषा आधारित राज्य घोषित कर दिया गया। इससे पहले ओडिशा, बंगाल एवं बिहार का हिस्सा हुआ करता था। ओडिशा को 1936 में भाषा आधारित स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला, जबकि 1950 में भारत की आजादी के बाद ओडिशा देश का स्वतंत्र राज्य बना। ओडिशा को 4 नवंबर 2011 को बदलकर ओडिशा कर दिया गया है।

    उत्कल प्रांत की विशेषता

    उत्कल प्रांत का गठन होने के बाद से ओरिशा (ओडिशा) अपनी समृद्ध भाषा, साहित्य, कला व संस्कृति तथा विशेष खाद्य व्यंजन व पेय समेत अन्य क्षेत्रों में आज पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है। उत्कल प्रदेश मंदिर, कलाकृति, ओडिशी नृत्य जैसी कला, संगीत संस्कृति को लेकर अपना विशेष स्थान रखता है। चाहे वह चारों धाम से एक धाम श्रीजगन्नाथ धाम हो, चाहे राजधानी भुवनेश्वर में मौजूद महाप्रभु श्री लिंगराज मंदिर, धौली स्तूप, खंडगिरी उदयगिरी गुफा जैसी ऐतिहासिक धरोहरों वाला ओडिशा आज न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र के रूप में पहचान बना चुका है।

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