झारपड़ा जेल से रेप-हत्या के दो दोषी पैरोल पर रिहा होने के बाद फरार, ओडिशा में 50 से अधिक मामले
ओडिशा में झारपड़ा जेल से दो कैदी पैरोल पर रिहा होने के बाद लापता हो गए, जिससे पैरोल निगरानी पर चिंता बढ़ गई है। हत्या के दोषी सुशील दिगल और दुष्कर्म क ...और पढ़ें

पैरोल पर रिहा होने के बाद फरार
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा में पैरोल निगरानी को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आई हैं, जब भुवनेश्वर स्थित झारपाड़ा जेल में बंद दो दोषी कैदी पैरोल पर रिहा होने के बाद वापस नहीं लौटे। सूत्रों के अनुसार, यह घटना तब सामने आई जब ओडिशा उच्च न्यायालय ने राज्य भर में इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, फरार हुए दोनों कैदियों की पहचान ढेंकानाल के सुशील दिगल और रंजीत नायक के रूप में की गई है। दिगल, जो एक हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, पैरोल पर रिहा होने के बाद लगभग एक वर्ष से लापता है।
20 साल की सजा वाला आरोपी फरार
वहीं, दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए और 20 साल के कठोर कारावास की सजा पाए नायक, पिछले वर्ष अक्टूबर से लापता है, जब वह झारपड़ा जेल में वापस नहीं लौटा।
जेल अधिकारियों ने पुष्टि की कि दोनों कैदियों को मौजूदा पैरोल प्रावधानों के तहत अवकाश दिया गया था, लेकिन स्वीकृत अवधि समाप्त होने के बाद वे वापस नहीं लौटे।
चिंताजनक रूप से, झारपड़ा का मामला कोई अकेली घटना नहीं है। अदालत के समक्ष प्रस्तुत आंकड़ों से संकेत मिलता है कि ओडिशा की विभिन्न जेलों से पैरोल या अस्थायी अवकाश पर रिहा किए गए 50 से अधिक कैदी निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद भी वापस नहीं लौटे हैं।
फरार कैदियों की स्थिति रिपोर्ट पेश
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ओडिशा उच्च न्यायालय ने जेल प्रशासन के भीतर जवाबदेही की स्पष्ट कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। न्यायालय के निर्देश पर महानिदेशक (कारागार) स्वयं उपस्थित हुए और पीठ के समक्ष पैरोल से फरार कैदियों की स्थिति रिपोर्ट पेश की।
न्यायालय ने लापता दोषियों का पता लगाने के लिए उठाए गए कदमों तथा भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मौजूद प्रणालियों पर स्पष्ट जानकारी मांगी।
जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई
सुनवाई के बाद सूत्रों ने बताया कि दोनों फरार दोषियों का पता लगाने के लिए उनके मूल जिलों की स्थानीय पुलिस की सहायता से प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
जेल अधिकारियों से पैरोल की शर्तों, निगरानी तंत्र और ऐसे मामलों में फॉलो-अप के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी प्रस्तुत करने को कहा गया है।
इस बीच, यह मामला अब न्यायिक विचाराधीन है और ओडिशा में पैरोल व्यवस्था के प्रवर्तन से जुड़े घटनाक्रमों पर उच्च न्यायालय लगातार निगरानी बनाए हुए है।

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