नूआ ओ योजना पर बीजद सरकार ने खर्च किए 261 करोड़, मंत्री सूर्यवंशी सूरज बोले- शिकायत मिली तो कराएंगे जांच
पिछली बीजद सरकार की नुआ ओ योजना में भारी खर्च का खुलासा हुआ है। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस योजना पर 261 करोड़ से ज़्यादा रुपये खर्च हुए जिसमें टी-शर्ट बांटने में 14 करोड़ खेल कार्यक्रमों में 92 करोड़ रुपये शामिल हैं। मंत्री ने धन के दुरुपयोग की बात कही और जांच का आश्वासन दिया।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पूर्व वर्ती बीजद सरकार की बहुचर्चित ‘नूआ ओ’ योजना पर भारी खर्च को लेकर नया खुलासा हुआ है।
विधानसभा में शुक्रवार को उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने जानकारी दी कि इस योजना पर कुल 261 करोड़ 63 लाख रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई।
मंत्री ने बताया कि सिर्फ टी-शर्ट बांटने में ही सरकार ने 14 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। इसी तरह खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर 92 करोड़ रुपये, जिला स्तरीय उत्सवों में 70 करोड़ रुपये, जबकि विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं पर करीब 56 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
सूरज ने कहा कि नूआ ओ योजना के नाम पर पैसा पानी की तरह बहाया गया था। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रकार की ठोस शिकायत सामने आती है, तो सरकार उसकी जांच कराएगी।
केंद्र ने दो वर्षों में केआईएसएस को 34.73 करोड़ रुपये की सहायता दी: मंत्री
वित्तीय वर्ष 2023–24 में केआईएसएस के लिए 25.41 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए, जबकि 2024–25 के लिए 9.31 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों में भुवनेश्वर स्थित कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) को 34.73 करोड़ रुपये की अनुदान राशि उपलब्ध कराई है।
इसके अलावा, केंद्र हर महीने 10,000 छात्रों के लिए 1,500 क्विंटल चावल भी उपलब्ध करा रहा है। वर्ष 2023–24 में केआईएसएस को 25.41 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए, जबकि 2024–25 के लिए 9.31 करोड़ रुपये मंजूर हुए।
फिलहाल केआईएसएस में 14,482 बच्चे अध्ययनरत हैं, लेकिन केंद्र की ओर से चावल 10,000 छात्रों के लिए ही दिया जा रहा है। यह जानकारी शुक्रवार को कांग्रेस विधायक दासरथी गमांग के प्रश्न के उत्तर में विधानसभा में एसटी एवं एससी विकास मंत्री ने साझा की।
इससे पहले जुलाई में ओडिशा सरकार ने भुवनेश्वर स्थित केआईएसएस और केआइआइटी शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ संयुक्त जांच के आदेश दिए थे। आरोप था कि इन संस्थानों ने अवैध रूप से वन भूमि और सरकारी जमीन पर कब्जा किया है।
काफी समय से उठ रहे इन आरोपों में वन भूमि पर अनधिकृत निर्माण, सार्वजनिक संपत्ति को निजी पार्किंग क्षेत्र में बदलना और रथ यात्रा मैदान का अतिक्रमित भूमि पर विकास शामिल है।
सबूत बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की ओर इशारा करते हैं, जिससे प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हुई और पहले किए गए भूमि नियमितीकरण के दावों पर भी सवाल उठ गए।
गृह विभाग के निर्देश में यह भी उल्लेख है कि जांच की जाएगी कि किन परिस्थितियों में सरकारी भूमि को इन संस्थानों को पट्टे पर दिया गया।

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