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    नौसेना में होगा NIT राउरकेला के स्टार्टअप का कमाल, 66 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 02:08 PM (IST)

    राउरकेला के एनआईटी से जुड़े स्टार्टअप कोराशिया टेक्नोलॉजी ने भारतीय नौसेना के साथ 66 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है। यह समझौता पानी के भीतर इस्तेमाल होने वाले रोबोटिक सिस्टम के लिए है जो समुद्री सुरक्षा को बढ़ाएगा। कोराशिया ने जलसिंह जलदूत और नव्य जैसे रोबोट विकसित किए हैं। यह तकनीक रक्षा के साथ नागरिक क्षेत्रों में भी पुलों और बांधों की निगरानी में उपयोगी होगी।

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    नौसेना में होगा NIT राउरकेला के स्टार्टअप का कमाल

    जागरण संवाददाता, राउरकेला। देश में स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। एनआईटी राउरकेला से जुड़े स्टार्टअप कोराशिया टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने भारतीय नौसेना के साथ 66 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक अनुबंध किया है।

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    यह अनुबंध पानी के भीतर इस्तेमाल होने वाले अत्याधुनिक रोबोटिक सिस्टम के लिए हुआ है, जिससे भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा एवं गहरे पानी में संचालन के क्षेत्र में नई ताकत मिलेगी।

    कोराशिया टेक्नॉलॉजी, एनआईटी राउरकेला के फाउंडेशन फॉर टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस इंक्यूबेशन (एफटीबीआई) से इनक्यूबेटेड स्टार्टअप है। इस कंपनी की स्थापना वर्ष 2021 में एनआईटी राउरकेला के पूर्व छात्र देबेन्द्र प्रधान (संस्थापक और सीईओ) और बिश्वजीत स्वाइन (सह-संस्थापक एवं निदेशक) ने की थी।

    दोनों युवाओं ने अपनी टीम के साथ मिलकर इस स्टार्टअप को खड़ा किया और अब यह देश की नौसेना को अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध कराने जा रहा है।

    पानी के भीतर काम करने वाला रोबोट

    कोराशिया टेक्नॉलॉजी ने स्वदेशी तकनीक से पानी के भीतर काम करने वाले कई खास रोबोट विकसित किए हैं, जिन्हें जलसिंह, जलदूत और नव्य नाम दिया गया है। ये सभी रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स हैं, जो समुद्र के कठिन हालात में भी आसानी से काम कर सकते हैं।

    इनकी मदद से न केवल समुद्री जहाजों और संरचनाओं का निरीक्षण और निगरानी की जा सकेगी, बल्कि खोज और बचाव अभियान भी कारगर ढंग से चलाए जा सकेंगे। इन वाहनों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सिस्टम, सोनार तकनीक पर आधारित मैपिंग, स्टीरियो कैमरे और सटीक नेविगेशन उपकरण लगाए गए हैं।

    साथ ही, इनमें रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स की सुविधा भी है, जिससे पानी के भीतर हो रही गतिविधियों को तुरंत समझा और नियंत्रित किया जा सकता है।

    नागरिक क्षेत्र में भी होगी अहम भूमिका

    इन तकनीकों का इस्तेमाल सिर्फ रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नागरिक क्षेत्रों में भी इनकी अहम भूमिका होगी।

    इनके माध्यम से पुल, बांध, पाइपलाइन और जहाजों की डूबी हुई संरचनाओं की उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग संभव होगी। इसके अलावा गैर-विनाशकारी परीक्षण के जरिए संरचनाओं की मजबूत स्थिति का आकलन किया जा सकेगा।

    गहरे पानी में आसानी से बाथीमेट्रिक यानी गहराई सर्वेक्षण किया जा सकेगा। साथ ही यह तकनीक जल गुणवत्ता का विश्लेषण, अवसाद प्रोफाइलिंग और खोज एवं बचाव कार्य जैसे जटिल कामों को सरल बना देगी।

    इतना ही नहीं, समुद्र और नदियों में मौजूद महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों की सफाई का कार्य भी सुरक्षित और कारगर ढंग से किया जा सकेगा।

    समय और लागत की होगी बचत

    कंपनी ने रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स को जोड़कर ऐसे समाधान तैयार किए हैं, जिनसे पानी के भीतर के कठिन वातावरण में काम करना न केवल आसान होगा, बल्कि इससे समय और लागत की भी बचत होगी और जोखिम भी काफी हद तक कम होगा।

    हाल ही में कोराशिया टेक्नॉलॉजी ने प्री-सीरीज ए फंडिंग के जरिए अपने संचालन के विस्तार की योजना बनाई है, जिससे आने वाले समय में इसका उत्पादन और सेवाएं और बड़े पैमाने पर बढ़ेंगी।

    भारतीय नौसेना के साथ हुआ यह समझौता न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी बड़ा कदम है। अब तक पानी के नीचे काम आने वाली इस तरह की उन्नत तकनीकों के लिए भारत को विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब देश को खुद की स्वदेशी तकनीक उपलब्ध हो रही है।

    यह उपलब्धि भारत की ब्लू इकोनॉमी और समुद्री प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक नई मिसाल है।

    एनआईटी राउरकेला से निकले इस स्टार्टअप की उपलब्धि से ओडिशा सहित पूरे देश को गर्व है। संस्थापक देवेंद्र प्रधान और सह-संस्थापक बिश्वजीत स्वाइन के अभिनव प्रयासों ने पानी के भीतर रोबोटिक्स तकनीक में भारत की क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

    निश्चित रूप से भारतीय नौसेना के साथ हुआ यह 66 करोड़ का अनुबंध देश की रक्षा ताकत को मजबूत करेगा और नागरिक क्षेत्रों में भी नई संभावनाओं का रास्ता खोलेगा।