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    Odisha News: NIT राउरकेला ने नई तकनीक का किया ईजाद, सौर उर्जा को मिलेगा बढ़ावा; बिजली की होगी बचत

    NIT Rourkela एनआईटी राउरकेला ने बेहतर सौर ऊर्जा संचयन के लिए एक स्वच्छ ऊर्जा नवाचार का विकास किया है। यह पेटेंट तकनीक किफायती है और बदलते मौसम की परिस्थितियों में सौर पैनलों की अधिकतम ऊर्जा ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाती है। यह नवाचार आईओटी उपकरणों घरेलू सौर प्रणाली और दूरस्थ क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड ऊर्जा समाधानों सहित कई अनुप्रयोगों में उपयोग किया जा सकता है।

    By Kamal Kumar Biswas Edited By: Piyush Pandey Updated: Thu, 27 Feb 2025 03:30 PM (IST)
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    NIT राउरकेला में उर्जा नवाचार का विकास। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, राउरकेला। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला की एक शोध टीम स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में सौर ऊर्जा प्रणालियों को अधिक कुशल, किफायती और विश्वसनीय बनाने की दिशा में काम कर रही है।

    एनआईटी राउरकेला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर सुसोवन सामंता ने अपनी शोध टीम - शताब्दी भट्टाचार्य, पीएचडी की छात्रा और मधुस्मिता बारिक, डुअल डिग्री की छात्रा के साथ मिल कर कम लागत की एक प्रौद्योगिकी का नवाचार किया है।

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    यह नवाचार बदलते मौसम में भी सोलर पैनलों से अधिकतम बिजली प्राप्त करने में सक्षम है। स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान पहल (सीईआरआई) के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित शोध दल को विकसित तकनीक के लिए पेटेंट प्रदान किया गया है।

    (पेटेंट टाइटल: मेथड एंड सिस्टम फॉर वोल्टेज सेंसर-बेस्ड मैक्सिमम पावर पॉइंट ट्रैकिंग फॉर फोटोवोल्टिक सिस्टम, पेटेंट संख्या 543360, आवेदन संख्या 202231039742)।

    सोलर पैनल सूर्य प्रकाश से बिजली का उत्पादन करते हैं, लेकिन पूरा दिन तापमान और सूर्य प्रकाश की तीव्रता में बदलाव के कारण पूरे दिन बिजली उत्पादन की मात्रा में भी परिवर्तन होता रहता है।

    इसलिए सोलर पैनल जहां तक संभव हो हमेशा अधिकतम ऊर्जा उत्पादन के लिए एक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसे मैक्सिमम पावर पॉइंट ट्रैकिंग (एमपीपीटी) कहते हैं।

    अधिकतम बिजली उत्पादन में करता है मदद

    यह एक स्मार्ट सिस्टम है जो सूर्य प्रकाश और तापमान में परिवर्तन के अनुसार वोल्टेज और करंट को समायोजित करते हुए सोलर पैनलों को यथासंभव अधिकतम बिजली का उत्पादन करने में मदद करता है।

    इसमें एक माइक्रोकंट्रोलर होता है, जो एमपीपीटी एल्गोरिदम चालू कर सेंसर की मदद से वोल्टेज और करंट को मापता है और इसके साथ-साथ एक डीसी-डीसी कन्वर्टर होता है, जो बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करता है।

    यह सिस्टम सोलर पैनल के आउटपुट की निरंतर निगरानी रखता है और इसके अधिकतम दक्षता पर काम करने के लिए जरूरी समायोजन भी करता है। इस तरह कम से कम ऊर्जा बर्बाद होती है।

    एमपीपीटी की अब तक प्रचलित विधियों में ऊर्जा की बर्बादी होती है और बदलते मौसम के अनुसार काम करने की इसकी गति भी धीमी होती है। इतना ही नहीं, इनके लिए महंगे करंट सेंसर भी चाहिए। इस वजह से कम लागत के सोलर सेटअप के लिए किफायती नहीं रह जाती हैं।

    प्रो. सामंता की टीम ने इन कमियों को दूर करने के लिए वोल्टेज सेंसर-आधारित एमपीपीटी विधि विकसित की है, जिससे करंट सेंसर की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इससे सिस्टम की जटिलता और लागत भी कम होगी।

    इस टीम ने एक सरल वोल्टेज सेंसर या रेसिस्टर डिवाइडर सर्किट उपयोग करने का दृष्टिकोण रखा, ताकि मैक्सिमम पावर पॉइंट (एमपीपी) की अधिक सटीक निगरानी रखने के साथ-साथ स्थिरता और कुशलता से निरंतर संचालन सुनिश्चित हो। इसके परिणामस्वरूप निगरानी रखने की क्षमता बढ़ेगी और बेहतर पीवी ऊर्जा संचयन होगा।

    कुशलता से बिजली प्राप्त करना होगा सुनिश्चित

    एनआईटी राउरकेला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर सुसोवन सामंता ने इस नवाचार के बारे में बताया कि हमारी तकनीक बिजली के मामूली उतार-चढ़ाव को रोकने में सक्षम है, जबकि पुरानी तकनीकों के लिए यह चुनौती रही है। इसलिए हमारी तकनीक से स्थिरता और कुशलता के साथ बिजली प्राप्त करना सुनिश्चित होगा।

    उन्होंने कहा कि यह तकनीक सूर्य प्रकाश और तापमान में होने वाले बदलावों के अनुसार जल्द सुधार करने में सक्षम है। इसलिए यह सिस्टम लगातार अधिकतम दक्षता के साथ काम कर सकता है।

    पीएचडी की छात्रा शताब्दी भट्टाचार्य और मधुस्मिता बारिक और प्रो. सुसोवन सामंता। (फाइल फोटो)

    इसके अलावा चूंकि हमारे सिस्टम में सिर्फ एक वोल्टेज सेंसर या एक सरल रेसिस्टर डिवाइडर सर्किट का उपयोग किया जाता है इसलिए इसकी जटिलता और लागत भी कम हो जाती है।

    इसके डिजाइन में अनुकूलन की सुविधा है, इसलिए विभिन्न सौर ऊर्जा सेटअप में इसका आसानी से समावेश किया जा सकता है। अपनी इन खूबियों के साथ यह हर तरह के उपयोगों के लिए तैयार (वर्सटाइल) है।

    पूरा सेटअप।

    रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में इस नवाचार के व्यापक उपयोग की संभावना है। इससे महंगे करंट सेंसर की आवश्यकता समाप्त होगी तो लागत भी कम होगी और यह किफायती तथा छोटे सोलर प्रोजेक्ट के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा।

    एनआईटी राउरकेला में विकसित इस नवाचार के कई अन्य उपयोग संभावित हैं –

    • सौर ऊर्जा से काम करने वाले आईओटी डिवाइस जैसे मौसम के सेंसर और रिमोट संचार टावर, जिनके लिए निरंतर विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति जरूरी है।
    • कम लागत वाले उपभोक्ता सौर उत्पाद जैसे होम लाइटिंग सिस्टम और पोर्टेबल सोलर चार्जर, जिनके लिए सबसे अधिक विचार लागत और सक्षमता पर किया जाता है।
    • माइक्रोग्रिड और ऑफ-ग्रिड ऊर्जा समाधान, जो सुदूर या ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिरता और विश्वसनीयता के साथ बिजली आपूर्ति के स्रोत हैं।
    • इस संबंध में प्रो. सामंता की टीम के शोध आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन सस्टेनेबल एनर्जी और आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

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