NIT राउरकेला की वैश्विक उपलब्धि, 2024 स्टैनफोर्ड-एल्सेवियर सर्वे में 35 वैज्ञानिकों को टॉप 2% में जगह
राउरकेला के एनआईटी के 35 वैज्ञानिकों को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और एल्सेवियर के सर्वे में दुनिया के टॉप दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। इस प्रतिष्ठित सूची में 33 फैकल्टी सदस्य और 2 पीएचडी स्कॉलर शामिल हैं। सिंगल-ईयर रिसर्च इम्पैक्ट 2024 की सूची में 29 फैकल्टी हैं। डायरेक्टर प्रो. के. उमामहेश्वर राव ने इसे संस्थान के लिए गर्व का विषय बताया है।

जागरण संवाददाता, राउरकेला। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और एल्सेवियर के ताजा सर्वे में एनआईटी राउरकेला के 35 वैज्ञानिकों को दुनिया के टॉप दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में जगह मिली है। इसमें 33 फैकल्टी और 2 पीएचडी स्कॉलर्स शामिल हैं।
सिंगल-ईयर रिसर्च इम्पैक्ट 2024 की सूची में जो 29 फैकल्टी शामिल हुए हैं, उनमें आलोक सत्पथी, अनुप के. पांडा, अर्नब घोष, बांकीम चंद्र राय, बाला सुब्रमणियन परमासिवन, बिकाश साहू, दयाल आर. पार्ही, देबाशीष चैरा, देबिप्रसाद अचार्य, दिलीप कुमार प्रधान शामिल हैं।
साथी ही हरेकृष्ण साहू, कालीपद माइती, कुनाल पाल, मोहम्मद खालिद गुल, मोनालिसा मिश्रा, नारायण सेठी, प्रवत कुमार राय, ऋत्विक सरकार, समीर कुमार पात्र, संध्या रानी बिस्वास, संतानु कुमार बेहरा, सिबा एस. महापात्र, एस मुरुगन को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है।
इसके अलावा स्नेहशिष चक्रवर्ती, सुभाष चंद्र महापात्र, सुब्रत कुमार पंडा, सुदीप दासगुप्ता, सुजीत कुमार भूतिया और सुरजित दास है।
कैरियर-लॉन्ग इम्पैक्ट 2024 की सूची में 17
कैरियर-लॉन्ग इम्पैक्ट 2024 की सूची में शामिल 17 फैकल्टियों में अनुप कुमार पांडा, बांकीम चंद्र राय, बिकाश साहू, दयाल आर. पार्ही, देबाशिष सरकार, कनुंगो बरदा मोहंती, कृष्णा प्रमाणिक, कुनाल पाल, ऋत्विक सरकार, संध्या रानी बिस्वास, शांतनु कुमार बेहरा, सिबा शंकर महापात्र, एस. मुरुगन, स्नेहशिष चक्रवर्ती, सुब्रत कुमार पांडा, सुजीत कुमार भूतिया और सुरजित दास।
दो पीएचडी शोधार्थी भी इस सूची में शामिल
इसके अलावा दो पीएचडी शोधार्थी भी इस सूची में शामिल हुए है। इनमें अकाश बालाकृष्णन, जो प्रो महेंद्र चिंथला (रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग) के निर्देशन में शोध कर रहे हैं और श्रिमंत पात्र जो प्रो. सुजीत कुमार भूतिया (जीवन विज्ञान विभाग) के निर्देशन में शोधरत हैं।
इस उपलब्धि पर डायरेक्टर प्रो. के. उमामहेश्वर राव ने कहा कि यह संस्थान के लिए गर्व का विषय है और हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत को वैश्विक पहचान मिली है।
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