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    Rath Yatra 2025: महाप्रभु के दर्शन के लिए 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का उमड़ा जन सैलाब, सभी पार्किंग फुल

    पुरी में भगवान जगन्नाथ अपने स्वर्ण वेश में रथ पर विराजमान हैं जिसके दर्शन के लिए लाखों भक्त आ रहे हैं। मंदिर प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। भक्तों की भारी भीड़ के कारण पार्किंग स्थल भर गए और ऑटो चालकों ने मनमाना किराया वसूला। सोमवार को अधरपणा नीति और 8 जुलाई को नीलाद्री बिजे नीति संपन्न होगी।

    By Sheshnath Rai Edited By: Ashish Mishra Updated: Sun, 06 Jul 2025 01:38 PM (IST)
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    महाप्रभु के दर्शन करने को पुरी में उमड़ा 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का जन सैलाब। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, पुरी। जन्म वेदी में लीला समाप्त करने के बाद चतुर्धा विग्रह जगन्नाथ मंदिर सिंह द्वार के सामने पहुंच गए हैं। तीनों रथ सिंह द्वार के सामने खड़े हैं। तीनों रथ के ऊपर ही श्रीजी को सोने के वेश में सजाया गया।

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    महाप्रभु के इस अनुपम वेश के दर्शन के लिए ना सिर्फ ओडिशा बल्कि देश विदेश से 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का जमावड़ा जगन्नाथ धाम में हुआ है। पुरी को जाने वाले मार्ग पर सुबह से वाहनों की लंबी कतारें देखने को मिली।

    वहीं, भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने और सावधानी पूर्वक यात्रा करने की सलाह दी है। सोमवार को रथ के ऊपर ही महाप्रभु की अधरपणा नीति सम्पन्न की जाएगी।

    इसके बाद 8 जुलाई को महाप्रभु की नीलाद्री बिजे नीति होगी और इस दिन महाप्रभु रत्न सिंहसान पर विराजमान करेंगे।

    जानकारी के मुताबिक आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि में रथारूढ़ श्री विग्रह को आज सोने के वेश में सजाया गया है।

    भगवान का यह दुर्लभ वेश रथ के ऊपर महाप्रभु की रीति नीति सम्पन्न होने के बाद दोपहर बाद से श्रीजी को सोने के वेश में सजाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

    श्रीविग्रह को श्रीभुज, श्रीपयर, रत्न पदक, रत्न किरीट, झुमके, मरकट मुकुट, पद बल्लभ, मुड़ी, कांटीमाला, मरकट जाउंली, बाला, बाहुटी, कांटी जरकबर कटी मेखला आदि जैसे 138 प्रकार के रत्नजड़ित सोने के आभूषण से सजाया गया।

    सोने के वेश में ही महाप्रभु की संध्या आरती एवं संध्या धूप नीति सम्पन्न की गई। जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। इसलिए रथ पर सोना वेश में सजे महाप्रभु की एक झलक पाने के लिए जगन्नाथ के भक्तों की भारी भीड़ होती है।

    जानकारी के मुताबिक रथ पर विराजनान चतुर्धा विग्रह के सोना वेश के कारण भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

    पुरी आने वाले लोगों को आसानी से भगवान के दर्शन मिले इसके लिए सभी प्रकार के इंतजाम प्रशासन की तरफ से किए गए हैं।

    रात भर पुरी के लिए वाहनों की लगी रही कतार

    महाप्रभु के सोना वेश को देखने के लिए शनिवार रात से कटक, भुवनेश्वर और कोणार्क आदि तमाम मार्गों से पूरी रात वाहनों की लम्बी कतारें पुरी के लिए लगी रहीं। आलम यह हुआ कि भुवनेश्वर की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन रेंगते नजर आए।

    महाप्रभु के दर्शन के लिए भक्तों का जन सैलाब उमड़ रहा है। इतनी संख्या में वाहनों को देखते हुए सुबह से ट्रैफिक नियंत्रण करने में प्रशासन के पसीने छूट गए। 

    मालतीपाटपुर पार्किंग स्थल पर पहुंचने वाले वाहनों को घंटो का समय अपने वाहनों को पार्क करने में लग रहा था। ऐसे में प्रशासन ने लोगों से ट्रैफिक नियम का अनुपालन करते हुए यात्रा करने की सलाह दी गई।

    सुबह-सुबह भर गए सभी पार्किंग स्थल

    महाप्रभु के सोना वेश के दर्शन करने के लिए आने वाली भीड़ का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुबह 10 बजे ही पुरी में प्रशासन की तरफ से बनाए गए पार्किंग स्थल वाहनों से भर गए।

    सुबह 11 बजे यहां पहुंचने वाले भक्तों को अपने वाहन पार्क करने में कई प्रकार की असुविधा का सामना करना पड़ा है। बड़दांड जन समुद्र में तब्दील हो गया। भक्तों की भारी भीड़ मौजूद है।

    प्रशासन ने रद्द किए वाहनों के पास

    पुरी जगन्नाथ धाम में सुबह-सुबह उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर पहले से आवंटित किए सभी कार पास को रद्द कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि भक्तों की असुविधा एवं भारी भीड़ को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

    मनमाने तरीके से ऑटो किराया वसूल रहे चालक

    महाप्रभु के सोना वेश के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ का फायदा ऑटो चालकों ने उठाया है। पार्किंग स्थल या जहां से प्रशासन वाहनों को रोक रहे थे, वहां शहर के अंदर ले जाने के लिए ऑटो चालकों ने मनमाने ढंग से श्रद्धालुओं से किराया वसूला।

    जानकारी के मुताबिक मात्र 3 से 4 किमी दूरी के लिए 400 से 500 रुपये ऑटो चालक किराया वसूल रहे थे। इस तरह के मनमाने तरीके से वसूले जाने वाने किराए पर भी प्रशासन की नजर है।

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