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    Odisha: दर्द से जूझ रही गर्भवती की सड़क पर डिलीवरी, महिला को टोकरी में 8 km तक लादकर अस्पताल पहुंचे परिजन

    By Jagran NewsEdited By: Yashodhan Sharma
    Updated: Wed, 01 Feb 2023 08:46 AM (IST)

    Malkanagari प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक गर्भवती महिला को एंबुलेंस नहीं मिली। नतीजतन परिवार ने उसे आठ किलोमीटर तक टोकरी में बैठाकर अस्पताल पहुंचाया। इतना ...और पढ़ें

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    टोकरी में महिला को 8 किलोमीटर तक लादकर असप्ताल पहुंचे परिजन

    भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा में प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक गर्भवती महिला को एंबुलेंस नहीं मिली। नतीजतन, परिवार ने उसे आठ किलोमीटर तक टोकरी में बैठाकर अस्पताल पहुंचाया। इतना ही नहीं, सड़क पर प्रसव होने के बाद दोनों मां एवं नवजात को पुनः टोकरी में रखकर अस्पताल ले गए। मालकानगिरी जिले के चित्रकोंडा ब्लॉक के अंतर्गत पापुलुर पंचायत के नाएदागुडा में स्वास्थ्य सेवा की ऐसी भयावह तस्वीर देखने को मिली है।

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    जानकारी के अनुसार उक्त गांव के रामचंद्र शीशा की पत्नी भानू शीशा को बुधवार सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई। खबर पाकर आशा कार्यकर्ता नीलिमा खिल पहुंची। हालत गंभीर होने पर उन्होंने एंबुलेंस को फोन किया। हालांकि, जब एम्बुलेंस ने आने से इनकार कर दिया, तो परिवार को भानु को एक टोकरी को पालकी बनाकर आठ किलोमीटर दूर, पपुलुर स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

    सड़क पर हुआ बच्चे का जन्म

    परिवार ने कहा कि भानु ने असहनीय दर्द के बीच सड़क पर बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के बाद भानु और नवजात को इलाज के लिए फिर से टोकरी में भरकर स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। हालांकि, परिवार फिर से चिंतित था, क्योंकि पापुलुर स्वास्थ्य केंद्र में कोई डॉक्टर, नर्स या एम्बुलेंस चालक नहीं थे।

    चित्रकोंडा अनुमंडलीय अस्पताल ले जाने के लिए सड़क पर वाहन का इंतजार करने लगे। इस बीच, भानु को एक अन्य एम्बुलेंस में चित्रकोंडा अस्पताल ले जाया गया जो रोगी को छोड़कर लौट रही थी। उपचार के बाद, प्रसूति और नवजात शिशु की स्वास्थ्य स्थिति स्थिर बताई जा रही है।

    आपात स्थिति में नहीं मिलती एम्बुलेंस

    महिला के पति ने आरोप लगाया कि यह खेद की बात है कि सरकार मरीजों की देखभाल पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन आपात स्थिति में एम्बुलेंस नहीं मिलती।

    इधर, स्थानीय आशा कर्मी नीलिमा खिल ने कहा है कि भानु का प्रसव सड़क पर नहीं बल्कि उसके घर पर हुआ था। तबीयत बिगड़ जाने पर उसे टोकरी में भरकर पापुलुर स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, क्योंकि उसकी जान को खतरा था।