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    Jagannath Rath Yatra : भगवान जगन्नाथ छह दिन से बीमार, लगाया गया फुलरी तेल; क्या है इसके पीछे का रहस्य

    Updated: Thu, 27 Jun 2024 09:44 PM (IST)

    Jagannath Rath Yatra 2024 महाप्रभु भगवान जगन्नाथ छह दिन से बुखार से पीड़ित हैं। उनके शरीर में गुरुवार से फुलरी तेल लगाने की प्रक्रिया आरंभ हुआ है। पीड़ित महाप्रभु की गुप्त सेवा चल रही है। बुखार ठीक करने के लिए दइतापति सेवक सेवा कर रहे हैं। महाप्रभु का बुखार कम हो और उन्हें बुखार से राहत मिले इसके लिए फुलरी तेल लगाया जा रहा है।

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    Jagannath Rath Yatra : भगवान जगन्नाथ छह दिन से बीमार। फोटो- जागरण

    संवाद सहयोगी, पुरी। छह दिन से बुखार से पीड़ित महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के शरीर में गुरुवार से फुलरी तेल लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। बुखार से पीड़ित महाप्रभु की गुप्त सेवा चल रही है। उनका बुखार ठीक करने के लिए दइतापति सेवक सेवा कर रहे हैं।

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    महाप्रभु का बुखार कम हो और उन्हें बुखार से राहत मिले इसके लिए फुलरी तेल लगाया जा रहा है। 22 जून को देवस्नान पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद महाप्रभु बीमार हो गए थे। तब से पुरी जगन्नाथ मंदिर में उनका इलाज चल रहा है।

    क्या होता है फुलरी तेल

    महाप्रभु जगन्नाथ के लिए फुलरी तेल बड़े ओड़िया मठ द्वारा प्रदान किया जाता है। हेरापंचमी के दिन, मिट्टी से बने दो घड़े में राशि (तिल) तेल में विभिन्न औषधीय द्रव्य मिलाया जाता है और फिर बाद में औषधीय द्रव्य के साथ कई सुगंधित फूलों को मिलाया जाता है। इस तेल को हेरापंचमी के दिन से एक वर्ष के लिए मिट्टी के नीचे दबाकर रखा जाता है। एक साल के बाद इस तेल को मिट्टी के नीचे से निकाला जाता है। जिसे फुलरी तेल कहा जाता है।

    बाद में तेल को मंदिर के अंदर लिया जाता है। इस तेल से महाप्रभु की मालिश की जाती है। मान्यता है कि इस तेल की मालिश करने से भगवान के अंग ठीक हो जाते हैं और उन्हें दर्द से राहत मिलती है। महाप्रभु की मानवलीला वाली यह परंपरा सदियों से अनवरत चली आ रही है। इसके जरिए महाप्रभु अपने भक्तों को कई संदेश भी देते हैं।

    22 जून को कराया गया था देवस्नान

    22 जून को देवस्नान पूर्णिमा के दिन स्नान मंडप में 108 घड़ा सुगंधित जल से महाप्रभु को स्नान कराया गया था। इसके बाद महाप्रभु बीमार हो जाते हैं। दइतापति सेवक अणवसर गृह (बुखार घर) में महाप्रभु की गुप्त सेवा कर रहे हैं। उनके स्वस्थ होने के बाद सात जुलाई को पुरी में विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा निकलेगी।

    वहीं, रथयात्रा के लिए रथखला (रथ निर्माण स्थल) में रथों का निर्माण चल रहा है। महारणा सेवक (कारीगर) जोर-शोर से तीनों रथों का निर्माण कर रहे हैं।

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