Sun Temple: कोणार्क सूर्य मंदिर के गर्भगृह से हटाई जाएगी रेत, जानें ब्रिटिश सरकार ने क्यों किया था ये काम?
एएसआई के महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत ने कोणार्क सूर्य मंदिर का निरीक्षण किया और गर्भगृह से रेत हटाने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने की बात कही। ब्रिटिश हुकूमत ने 1903 में मंदिर को ढहने से बचाने के लिए रेत भरवाई थी। पुरातत्व विभाग ने मंदिर के उत्तर-पश्चिम कोने और दक्षिण-पश्चिम कोने में सुरक्षित आवाजाही के लिए यांत्रिक कार्य प्लेटफार्मों का निर्माण पूरा कर लिया है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर के गर्भगृह में भरी रेत को जल्द ही हटा दिया जाएगा।एएसआई के महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत ने शनिवार को कोणार्क सूर्य मंदिर का निरीक्षण किया है।
उनके साथ पुरी सर्किल ऑफिसर सहित 15 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम भी थी। टीम ने सूर्य मंदिर के संरक्षण और गर्भगृह से रेत हटाने को लेकर विस्तार से चर्चा की है।
जानकारी के मुताबिक पिछले दो वर्षों में, पुरातत्व विभाग ने मंदिर के उत्तर-पश्चिम कोने और दक्षिण-पश्चिम कोने में सुरक्षित आवाजाही के लिए यांत्रिक कार्य प्लेटफार्मों, लोहे के मचान कार्य और लोहे की सीढ़ी का निर्माण पूरा किया है।
हालांकि, कोणार्क मंदिर से रेत हटाने का काम पूरी तरह से रोक दिया गया है। अब चबूतरा बनने के बाद गर्भगृह में प्रवेश के लिए मंदिर के पश्चिमी द्वार के दूसरे तल पर 4 से 5 फुट का गड्ढा खोदा जाएगा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि गर्भगृह से रेत को सुरक्षित रूप से हटाने के लिए तीन साल का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन दो वर्ष से अधिक समय बीत चुका है और इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।
अब, एएसआई डीजी यदुबीर सिंह रावत ने सूर्य मंदिर की स्थिति का निरीक्षण किया है और सूचित किया है कि कार्य शुरू किया जाएगा।
गौरतलब है कि कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी का हिंदू सूर्य मंदिर है, जो भारत के ओडिशा के पुरी जिले के समुद्र तट पर पुरी शहर लगभग 35 किमी. उत्तर-पूर्व कोणार्क में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण पूर्वी गंग राजवंश के राजा नरसिंह देव प्रथम ने लगभग 1250 ईसवी में कराया था।
ब्रिटिश हुकूमत ने भरवाई थी रेत
हालांकि, 13वीं शताब्दी के इस विश्व विख्यात सूर्य मंदिर के गर्भगृह को पत्थरों के गिरने से सुरक्षित बचाने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने सन् 1903 में रेत भरवा दिया था। क्योंकि मंदिर के कई हिस्से खराब हो गए थे और समुद्र के करीब होने के कारण मंदिर के गिरने का खतरा बढ़ गया था।
उस समय बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर, सर जान वुडबर्न ने इंजीनियर बिशन स्वरूप की सलाह पर आदेश दिया था कि मंदिर के गर्भगृह को ढहने से बचाने के लिए उसमें रेत से भर दिया जाए। तभी से कोणार्क सूर्यमंदिर के गर्भ गृह रेत से भरा हुआ है।
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