झारसुगुड़ा में 2 करोड़ के पार्क अब खंडहर बने; मोटर-लाइट चोरी, सीसीटीवी भी बेकार
झारसुगुड़ा में दो करोड़ की लागत से बने पार्क अब खंडहर में बदल गए हैं। मोटरें और लाइटें चोरी हो गई हैं, और सीसीटीवी कैमरे भी खराब हैं। रख-रखाव के अभाव और सुरक्षा की कमी के कारण पार्कों की हालत खस्ता हो गई है, जिससे स्थानीय लोग निराश हैं और प्रशासन से सुधार की मांग कर रहे हैं।
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झारसुगुड़ा में दो करोड़ के दो पार्क अब खंडहर बने। फोटो जागरण
संवाद सहयोगी, झारसुगुड़ा। नगर पालिका की लापरवाही और निर्माण में अनियमितताओं ने शहर को दो ऐसे पार्क दिए हैं, जिन पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन अब वहां न जीवन है न आकर्षण।
अगस्त 2023 में राज्य सरकार की विकास योजना निधि से करीब एक करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए स्मार्ट पार्क को आधुनिकता की मिसाल बताया गया था।
कहा गया था कि बच्चों की मनोरंजन के लिए टॉय ट्रेन मुख्य आकर्षण होगी। करीब 10 लाख रुपये खर्च कर खरीदी गई यह ट्रेन अब तक कभी नहीं चली। कभी वोल्टेज की समस्या तो कभी तकनीकी खामी का हवाला दिया जाता रहा।
वहीं पार्क की लाइटें बंद हैं, पेड़ों की देखरेख नहीं होने से लाखों रुपये के पौधे सूख चुके हैं। दस रुपये का प्रवेश टिकट बेचा जा रहा है, लेकिन उस पर न तारीख होती है, न मुहर।
अधिकारी इस धन के हिसाब को लेकर भी मौन हैं। इतना ही नहीं, विभाग को अब तक यह भी नहीं पता कि पार्क की मूल फाइल कहां गायब है। 2024 के आम चुनावों से पहले जिले के कलेक्टर कार्यालय के पास भी नगर पालिका ने जल्दबाजी में दूसरा पार्क बनवाया था, जिस पर लगभग एक करोड़ रुपये खर्च हुए।
यह वीवीआईपी और प्रशासनिक अधिकारियों के ठहरने की जगह के रूप में प्रस्तावित था। लेकिन मात्र छह महीने में ही पार्क की लैंडस्केपिंग उजड़ चुकी है, पेड़ सूख गए हैं और बैठने की जगह तक नहीं बची।
मोटर पंप लगने के बावजूद पानी नहीं पहुंचता। कुरुकुरु पार्क में भी स्थिति जर्जर है। फव्वारों की मोटरें और लाइटें चोरी हो चुकी हैं, सफाई न होने से लोग वहां रुकना नहीं चाहते।
चोरियों पर रोक के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे भी बेअसर साबित हो रहे हैं। अधिशासी अधिकारी मानस रंजन मल्लिक से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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