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    Odisha News: फिर से खुलने जा रहा है एक्शन इस्पात, ओसन कैपिटल को मिला मालिकाना हक; बकाया मांगने की मांग तेज

    झारसुगुड़ा के माराकुटा स्थित एक्शन इस्पात अब फिर से खुलने वाला है। इसका मालिकाना हक बदल गया है। ऐसे में अब बकाया राशि देने की मांग तेज हो गई है। बता दें कि ओसन कैपिटल ने कारखाना को फिर से शुरू करने का प्रक्रिया शुरू कर दी है। 2016 में कारखाना बंद होने समय तीन माह का वेतन बाकी रह गया था।

    By Kamal Kumar Biswas Edited By: Arijita Sen Updated: Tue, 23 Jan 2024 04:05 PM (IST)
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    माराकुटा स्थित एक्शन इस्पात अब फिर से खुलने वाला है।

    संसू, झारसुगुड़ा। माराकुटा स्थित एक्शन इस्पात का अब मालिकाना हक परिवर्तन हो गया है। पांच माह पहले एनजीएलटी में मामला होने के बाद ओसन कैपिटल मार्केट को यह मालिकाना हक मिला है। ओसन कैपिटल ने कारखाना को फिर से शुरू करने का प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इस संबंध में कंपनी के कुछ अधिकारी भी यहां आ कर स्थिति का अध्ययन किया है। इसकी सूचना मिलते ही एक्शन इस्पात के पूर्व कर्मचारी जिनका बकाया बाकी है। उसे पाने के लिए अपनी मांग तेज कर दिए है।

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    2016 में बंद हो गया था कारखाना

    विदित हो कि 2016 में कारखाना बंद होने समय तीन माह का वेतन बाकी रह गया था। वही श्रमिकों का वेतन के साथ ही उनके वेतन से काटे गए ईपीएफ के पैसों को भी जमा नहीं किया गया था। केवल कर्मचारियों का वेतन ही नहीं, बल्कि अंचल की विभिन्न ठेका संस्था व ग्रामीणों का भी पैसा भुगतान नहीं हो पाया था।

    पहले हुए आंदोलन के समय कारखाना खुलने पर बकाया भुगतान करने का आश्वासन दिया गया था। मगर उसे पूरा नहीं किया गया। वहीं अब कंपनी ऊपर लेबल के दबाव में कारखाना शुरू करने का प्रयास कर रही है। इसी को लेकर माराकुटा पंडरी पत्थर गांव के लोग आंदोलन की तैयारी में लगे हैं।

    कर्ज न भर पाने की वजह से रातोंरात कंपनी बंद

    विदित हो कि वर्ष 2000 में एक्शन इस्पात कारखाना शुरू हुआ था। और 2015 में उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती गयी । 2016 में कारखाना बंद हो गया। कंपनी दिवालिया होने के बाद बैंक का कर्ज भी नहीं भर पाई।

    इसी के चलते कंपनी रातों रात कारखाना बंद कर दी। 26 सितंबर को एनसीएलटी में मामले में सुनवाई के बाद 251 करोड़ 30 लाख रुपये में ओसन कैपिटल को कारखाना का दायित्व हस्तांतरित कर दिया था। कुल 370 एकड़ में फैले उक्त कंपनी के बंद होने के समय बकाया 1330 करोड़ था।

    कारखाने से बहुमूल्‍य मशीनों की चोरी

    बैंक का कर्ज इससे कहीं अधिक होने से कारखाना में ताला लग गया था। बैंकों द्वारा एनसीएलटी में मामला दायर करने के बाद कारखाना एक प्रकार से सरकारी संपत्ति हो गई थी।

    कारखाना बंद होने के बाद झारसुगुड़ा के कुछ राजनीतिक लोग स्क्रेप माफिया के साथ हाथ मिलाकर कारखाना से बहुमूल्य मशीन व अन्य सामग्री की चोरी कर उसे पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ व झारखंड के बड़े स्क्रेप माफिया से डील कर बेच दिए थे।

    कारखाना बंद होने के बाद से अब तक एक्शन इस्पात कारखाना परिसर करीब 300 करोड़ रुपये से अधिक की बहुमूल्य सामग्री व टर्बाईन आदि की चोरी हो चुकी है।

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