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    पिता की विरासत लेकर मैदान में उतरे जय, BJP में एंट्री से नुआपड़ा की सियासत में आई तपिश

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 06:02 PM (IST)

    नुआपड़ा उपचुनाव से पहले स्वर्गीय राजेंद्र ढोलकिया के पुत्र जय ढोलकिया ने भाजपा का दामन थामा। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने उनका स्वागत किया। जय के शामिल होने से चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, क्योंकि उन्हें पिता की विरासत और सहानुभूति का लाभ मिल सकता है। 

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    जय ढोलकिया ने थामा बीजेपी का दामन। (फोटो जागरण)

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। नुआपड़ा उपचुनाव से पहले ओडिशा की सियासत में हलचल तेज हो गई है। स्वर्गीय राजेंद्र ढोलकिया के पुत्र जय ढोलकिया ने आखिरकार बीजेपी का दामन थामकर राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी है।

    राजधानी भुवनेश्वर स्थित बीजेपी कार्यालय में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, उपमुख्यमंत्री के. वी. सिंहदेव, प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल, मंत्री सूर्यवंशी सूरज और वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में जय का पार्टी में स्वागत किया गया।

    जय के बीजेपी में शामिल होते ही नुआपड़ा की चुनावी हवा एकदम बदलती दिखाई दे रही है। माना जा रहा है कि पिता की राजनीतिक विरासत और स्थानीय सहानुभूति की लहर उन्हें मजबूत उम्मीदवार बना सकती है।

    मुख्यमंत्री माझी ने कुछ सप्ताह पहले ही रख दी थी भावनात्मक पृष्ठभूमि

    कुछ सप्ताह पहले ही मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी नुआपड़ा पहुंचे थे और उन्होंने स्वर्गीय राजेंद्र ढोलकिया के परिवार से मुलाकात कर संवेदना जताई थी। श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री ने कहा था, राजेंद्र सिर्फ नेता नहीं थे, वे मेरे घनिष्ठ मित्र थे। हमारे प्रतिद्वंद्वी थे, लेकिन शत्रु कभी नहीं।

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    इसी श्रद्धांजलि सभा के बाद से ही यह कयास तेज हो गए थे कि जय पिता की राह पर चलते हुए राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले हैं।

    बीजेडी से दूरी, भाजपा से नजदीकी

    बीजेडी की पदयात्रा में जय की गैरमौजूदगी ने साफ संकेत दे दिए थे कि वे अब बीजेडी से दूरी बना रहे हैं। बताया जाता है कि उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से भी मुलाकात की थी। यही वजह है कि उनके टिकट की संभावनाएं बेहद प्रबल मानी जा रही हैं।

    चुनावी समीकरण – बदलेगी नुआपड़ा की कहानी

    राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर जय ढोलकिया को बीजेपी टिकट देती है, तो नुआपड़ा का पूरा चुनावी गणित उलट सकता है। स्थानीय जनता में उनके पिता राजेंद्र ढोलकिया की गहरी पकड़ रही है, और सहानुभूति की लहर सीधे जय के पक्ष में जा सकती है।

    बीजेडी के लिए सिरदर्द, भाजपा के लिए अवसर

    बीजेडी के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन चुकी है। पहले स्वर्गीय राजेंद्र ढोलकिया ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, बाद में बीजेडी में शामिल होकर अपना जनाधार बनाए रखा।

    अब बदलती राजनीतिक हवा के बीच जय बीजेपी में शामिल हो गए हैं। पुणे टिकट मिलना भी लगभग तय है। ऐसे में वे जहां बीजू जनता दल के लिए सिर दर्द बन गए हैं वहीं भाजपा के लिए एक नया अवसर दिख रहा है।

    समर्थक बोले – पिता का सपना पूरा करेंगे जय

    स्थानीय समर्थकों का कहना है कि जय अब “सेवा और विकास” की राह पर आगे बढ़कर अपने पिता की अधूरी इच्छाओं को पूरा करेंगे।“राजेंद्र ढोलकिया ने जनता का दिल जीता था, जय जनता का विश्वास जीतेंगे” ऐसा मानना है स्थानीय मतदाताओं का।

    अगला पड़ाव – टिकट का एलान और चुनावी शंखनाद

    अब सबकी निगाहें बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं कि क्या जय को आधिकारिक रूप से उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। अगर ऐसा होता है, तो नुआपड़ा उपचुनाव सीधे 'बीजेडी बनाम ढोलकिया विरासत का मुकाबला बन जाएगा।