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    जागरण विशेष: सुंदरगढ़ के ब‍िनोद ने Youtube से सीखा गौकाष्‍ठ बनाना, अब गरीबों की जलावन के लिए करते हैं मदद

    By Jagran NewsEdited By: Yashodhan Sharma
    Updated: Tue, 31 Jan 2023 09:05 PM (IST)

    Sundergarh शहर से आठ किलोमीटर दूर झाड़बेड़ा में स्थित अपनी फ्लाई एस फैक्ट्री के भीतर बनी अपनी निजी गौशाला में रखी अच्छे नस्ल की गाय से निकलने वाले गोबर को जमाकर बिनोद अग्रवाल उर्फ बिश्नु इन दिनों गोबर से लकड़ी बनाकर अंचल में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

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    गोबर से लकड़ी बनाकर अंचल में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

    राजगांगपुर, तन्मय सिंह। कहते हैं अगर मेहनत सही दिशा में की जाए तो मिट्टी भी सोना बन जाती है। जिस गोबर को लोग कचरा समझते हैं, उसी गाय के गोबर से राजगांगपुर के स्टेशन पाड़ा निवासी बिनोद अग्रवाल रोजगार की राह निकाल रहे हैं। आत्मनिर्भर बनने की सोच रखने वाले व्यवसायी सह स्थानीय विकास परिषद के अध्यक्ष बिनोद अग्रवाल ने आय का ऐसा जरिया खोज निकाला है, जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। शहर से आठ किलोमीटर दूर झाड़बेड़ा में स्थित अपनी फ्लाई एश फैक्ट्री के भीतर बनी अपनी निजी गौशाला में रखी अच्छे नस्ल की गायों से निकलने वाले गोबर को जमाकर बिनोद अग्रवाल उर्फ बिश्नु इन दिनों गोबर से लकड़ी बनाकर अंचल में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

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    Youtube पर सीखा गौकाष्ठ बनाने का तरीका

    एक कहावत है 'काम करते समय अगर किसी व्यक्ति से कोई गलती हो जाए तो कहते हैं कि आपने गुड़ृ-गोबर कर दिया', लेकिन गोबर को गुड़ यानी उपयोगी बनाने का हुनर बिनोद अग्रवाल ने यू ट्यूब से सीखा और आज उन्होंने सफलता की इबारत लिखना शुरू कर दिया है। बिनोद अग्रवाल ने बताया देश के कई इलाकों में गोबर से बनी लकड़ी (गौकाष्ठ) बनाई जा रही है, जिसे लकड़ी के एक बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। यह लकड़ी गाय के पवित्र गोबर से बनी होती है, जिसे तैयार करने में भी ज्यादा समय नहीं लगता। अच्छी बात यह है कि गोबर से बनी यह लकड़ी साधारण लकड़ी की तुलना में बेहद सस्ती है और धुआं भी कम छोड़ती है, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता।

    6 महीने से जारी है काम

    बिनोद अग्रवाल झाड़बेड़ा स्थित अपनी फ्लाई ऐश फैक्ट्री में अच्छी-अच्छी नस्ल की गायों को रखकर वर्षों से अपनी निजी गौशाला चला रहे हैं। 24 घंटे में 12 घंटे रोजाना वे गौ सेवा में रहते हैं। अपने हाथों से गौ माता को रोजाना गुड़ और चना खिलाते हैं। विकास परिषद के अधीन आने वाले वीर प्रताप गौशाला के अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि गौ सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है। 6 महीने से वे अपने निजी गौशाला से निकलने वाले गोबर से गौकाष्ठ बना रहे हैं। वे गोबर से बने इस लकड़ी को श्मशान घाट में देने के अलावा जलावन के लिए भी लोगों को देते हैं।