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    Jagannath Temple Ratna Bhandar: 'जो चाबियां हमें मिलीं, वो उन तालों की नहीं थीं', न्यायाधीश रथ का चौंकाने वाला खुलासा

    Ratna Bhandar Duplicate Keys and Lock पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में ब्रिटिश युग का ताला लगा था और इस ताले को खोलने के लिए जो डुप्लिकेट चाबियां थीं वे उचित चाबियां नहीं लगी। उक्त बाते बताते हुए निरीक्षण कमेटी अध्यक्ष न्यायाधीश बिस्वनाथ रथ ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जस्टिस रथ ने उनके पास डुप्लीकेट चाबियों के बारे बताया कि उन्हें पहले ही संदेह था।

    By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Fri, 26 Jul 2024 03:20 PM (IST)
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    डुप्लीकेट चाबियों को लेकर जस्टिस बिस्वनाथ रथ ने बताईं कई बातें (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। Puri Jagannath Temple Ratna Bhandar: पुरी जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार निरीक्षण कमेटी अध्यक्ष न्यायाधीश बिस्वनाथ रथ ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

    उन्होंने कहा कि रत्न भंडार को खोलने के लिए उन्होंने जो डुप्लिकेट चाबियां ली, उचित चाबियां नहीं लगी। ताला ब्रिटिश युग के थे जबकि चाबियां काफी अलग लग रही थी।

    जस्टिस रथ ने क्या बताया?

    जस्टिस रथ ने कहा कि हमें डुप्लीकेट चाबियों के बारे में तथ्य दिए गए थे। हालांकि, मैं संदेह में था क्योंकि मुझे पता था कि कटक के बक्सी बाजार में केवल कुछ लोगों ने डुप्लिकेट चाबियां तैयार की थीं। इसलिए मुझे यकीन था कि रत्न भंडार इन चाबियों से नहीं खुलेगा।

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    हम ताले तोड़कर रत्न भंडार में घुसने को तैयार थे। ताले बहुत मजबूत थे और हमें जो डुप्लीकेट चाबियां दी गईं थी, वे उन तालों की नहीं थीं। उन्होंने कहा कि वहां तीन ताले लगे थे।हालांकि, सील खोलने के बाद हमें केवल दो चाबियां मिलीं और वे उन तालों की सही चाबियां नहीं थीं।

    रत्न भंडार की स्थिती देखकर निराशा हुई

    जस्टिस रथ ने कहा कि रथ रत्न भंडार की स्थिति देखकर भी निराशा हुई क्योंकि कुछ संदूक और अलमारियां बंद नहीं थीं। दीपक जलाने के बाद हमें रत्न भंडार सही हालत में नहीं मिला। हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कुछ संदूक और अलमारियां बंद नहीं थीं।

    1978 में तत्कालीन राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने रत्न भंडार में प्रवेश किया था। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि कुछ संदूक और अलमारियां कैसे खुली रह गई। उन्होंने कहा कि लिफाफा में हमें चाबी के साथ एक सूची भी दी गई थी। उक्त सूची 1978 की कही जा रही है।

    हालांकि यह सूची 2018 की हो सकती है। मैं कहना चाहूंगा कि 2018 में जो चाबी मिली थी, वही चाबी रखी गई हो सकती है। यदि सूची 1978 की है, तो फिर उसमें पुरानी चाबी रहनी चाहिए। 2018 में तत्कालीन जिलाधीश ने कहा था कि डुप्लीकेट चाबी मिली थी।

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