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    पटरी पर दौड़ती ट्रेन से भी डरेंगे 2000 KM दूर बैठे देश के दुश्मन, अग्नि प्राइम मिसाइल कई खूबियों से लैस

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 10:23 PM (IST)

    भारत ने रक्षा क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करते हुए रेल आधारित मोबाइल लांचर से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह पहला प्रक्षेपण है जो इसे खास बनाता है क्योंकि इसे कहीं भी ले जाकर तेजी से लांच किया जा सकता है। इस परीक्षण के साथ भारत उन देशों में शामिल हो गया है जिनके पास ट्रेन से मिसाइल लांच करने की क्षमता है।

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    रेल आधारित मोबाइल लांचर से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, बालेश्वर। रक्षा के क्षेत्र में नया इतिहास रचते हुए भारत ने पहली बार रेल आधारित मोबाइल लांचर से मध्यम दूरी की अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।

    इस परीक्षण के साथ ही भारत उन प्रमुख देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास कैनिस्टराइज्ड लांच सिस्टम है और रेल नेटवर्क पर चलते हुए मिसाइल लांच करने की क्षमता है।

    अब तक केवल रूस, चीन और उत्तर कोरिया के पास ही यह क्षमता थी। इस परीक्षण ने आत्मनिर्भर भारत का घोष एक बार फिर बुलंद किया है, क्योंकि मिसाइल पूर्णत: स्वदेशी है।

    भारत की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में यह परीक्षण अहम साबित होगा। बुधवार शाम 6.40 बजे डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में ओडिशा के चांदीपुर रेंज में यह परीक्षण किया गया। अग्नि प्राइम परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल है। यह अगली पीढ़ी की मिसाइल है।

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    परीक्षण के दौरान मिसाइल सभी मानकों पर यह खरी उतरी। अग्नि सीरीज की मिसाइलों में यह बेहद घातक तथा अत्याधुनिक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है।

    रणनीतिक अहमियतअब तक मिसाइलों को किसी एक स्थान पर फिक्स कर लांच किया जाता रहा है, लेकिन अग्नि-प्राइम मिसाइल को रेलवे ट्रैक के माध्यम से देश में कहीं भी ले जाकर वहां से लांच किया जा सकता है और चलती ट्रेन से भी छोड़ा जा सकता है।

    छोटी और हल्की होने के कारण इसे ट्रेन टनल में छिपाकर रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर तुरंत लांच किया जा सकता है।

    क्या है खासियत

    • अग्नि-प्राइम मिसाइल 1500 से 3000 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम है।
    • दो स्टेज के राकेट मोटर पर चलने वाली यह मिसाइल सालिड फ्यूल से उड़ती है।
    • अग्नि सीरीज की अन्य मिसाइलों से हल्की है। अंधकार, धुंध और कम दृश्यता वाले स्थानों से भी लांच संभव है।

    क्या होता है कैनिस्टराइज्ड लांच सिस्टम

    यह मिसाइल लांच करने की एक आधुनिक तकनीक है। इसमें मिसाइल को एक मजबूत कैनिस्टर (बड़े धातु के कंटेनर) में रखा जाता है। यह कैनिस्टर मिसाइल को सुरक्षित रखता है। कैनिस्टर से मिसाइल को बिना लंबी तैयारी के सीधे दागा जा सकता है।

    मिसाइल नमी, धूल, मौसम और बाकी विपरीत हालात में सुरक्षित रहती है। ट्रक, रेल या मोबाइल लांचर पर कैनिस्टर रखकर मिसाइल को कहीं भी ले जाया जा सकता है। दुश्मन को यह पहचानना मुश्किल होता है कि कौन सा कैनिस्टर मिसाइल लिए हुए है और कौन नहीं। कैनिस्टर में पैक रहने से मिसाइल के बार-बार रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती।

    पाकिस्तान-चीन को बना सकती है निशाना

    अग्नि-प्राइम मिसाइल की मारक क्षमता 2000 किलोमीटर से ज्यादा है। इस कारण भारत द्वारा युद्ध के हालात में पाकिस्तान और चीन को भी निशाना बनाया जा सकता है। कोलकाता से इस्लामाबाद की हवाई दूरी लगभग 1,932 से 1,998 किमी जबकि चीन के दक्षिण-पश्चिमी युन्नान प्रांत की राजधानी और सबसे बड़ा शहर कुन¨मग करीब 1800 किमी दूर स्थित है।

    यानी इस मिसाइल से इन शहरों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। यह अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, थाइलैंड और मालदीव तक भी निशाना साधने में सक्षम है।

    भारत ने दो महीने पहले ड्रोन से भी मिसाइल का परीक्षण किया था

    भारत ने रेल आधारित मिसाइल लांच करने से पहले इसी वर्ष जुलाई में ड्रोन से भी यूएलपीजीएम -वी 3 मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। आंध्र प्रदेश स्थित कुरनूल के नेशनल ओपन एरिया टेस्टिंग रेंज में इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था।

    यह स्मार्ट मिसाइल ड्रोन से छोड़ी जाती है और दिन-रात किसी भी वक्त, किसी भी मौसम में दुश्मन के ठिकानों को सटीकता से नष्ट कर सकती है। एक बार लांच करने के बाद कभी भी इसके टारगेट को बदला जा सकता है।

    यह सशक्त और आत्मनिर्भर नए भारत के साथ ही स्वदेशी का भी उद्घोष है। इस सफल उड़ान परीक्षण ने भारत को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है, जिनके पास चलते-फिरते रेल नेटवर्क से कैनिस्टराइज्ड प्रक्षेपण प्रणाली विकसित करने की क्षमता है। मिसाइल परीक्षण के लिए ट्रेन को विशेष रूप से डिजाइन किया गया। यह ट्रेन देश के हर उस कोने तक जा सकती है, जहां-जहां रेल लाइन मौजूद है।- राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री