साल 2050 तक भट्ठी बन जाएगा भुवनेश्वर, iFOREST की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता; एक्सपर्ट ने बताए बचाव के उपाय
भुवनेश्वर शहर में तेज़ी से हो रहे बदलाव के कारण गर्मी की लहर का खतरा बढ़ गया है। जलाशयों को पाटकर इमारतें बन रही हैं और पेड़ काटे जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक शहर का तापमान और बढ़ सकता है। विशेषज्ञ हरित आवरण बढ़ाने और जलाशयों को बचाने की सलाह दे रहे हैं।

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। शहर का चेहरा तेजी से बदल रहा है। जलाशयों को पाटकर बहुमंजिली इमारतें खड़ी की जा रही हैं और हर साल हजारों की संख्या में मकान बन रहे हैं।
2018 की तुलना में 2024 में शहर में मकान निर्माण में 23 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान 9.8 फीसदी पेड़ काटे जा चुके हैं, जबकि 75 फीसदी जलाशयों पर मकान खड़े हो गए हैं। यही वजह है कि गर्मी की लहर (हीटवेव) अब शहरवासियों के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है।
रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आईफॉरेस्ट) की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि मौजूदा हालात बने रहे तो 2050 तक भुवनेश्वर में गर्मी की लहर और भी भयावह हो जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक शहर का तापमान 2 से 2.5 डिग्री तक बढ़ सकता है। 2024 की स्थिति इसका सबूत है। लगातार 17 दिन तक तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहा।
पूरे साल में 232 दिन गर्मी को लेकर चेतावनी जारी की गई। इनमें से 77 दिन येलो और 55 दिन ऑरेंज वार्निंग रही। खास बात यह है कि जनवरी और दिसंबर को छोड़ बाकी सभी महीनों में हीटवेव का असर महसूस किया गया।
जुलाई में 27, अगस्त में 30, सितंबर में 25 और अक्टूबर में 26 दिन येलो वार्निंग जारी हुई। वहीं अप्रैल में 10, मई में 17 और जून में 20 दिन ऑरेंज वार्निंग का सामना करना पड़ा।
लोगों की परेशानी
स्थानीय निवासी राकेश पटनायक कहते हैं, "अब तो फरवरी से ही पंखा-कूलर चलाना पड़ता है। मई-जून में हाल बेहाल हो जाता है। पेड़ कटने और जलाशय पाटने से शहर भट्टी बन गया है।"
वहीं गृहिणी रश्मी बेताला कहती हैं कि गर्मी की वजह से छोटे बच्चों और बुजुर्गों की हालत खराब हो जाती है। पहले ऐसा नहीं था। बारिश भी समय पर नहीं होती।"
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरणविद् प्रो. रथींद्र नायक का कहना है, "यदि शहर में हरित आवरण नहीं बढ़ाया गया और जलाशयों को बचाया नहीं गया, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और गंभीर होगी। यह केवल गर्मी की लहर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जल संकट और बीमारियां भी बढ़ेंगी।"
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
लोगों का आरोप है कि प्रशासन निर्माण कार्यों को रोकने में नाकाम साबित हुआ है। शहर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और जलाशयों का अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
सिर्फ एक महीना ही बची ठंड
भुवनेश्वर में गर्मी की मार लगातार तेज होती जा रही है। मौसम विभाग और सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन दशकों में औसत तापमान 1 डिग्री तक बढ़ गया है। रात का तापमान भी अब पहले से ज्यादा रहने लगा है।
गर्मी की लहर के दौरान शहर के अलग-अलग हिस्सों में 20 डिग्री तक का अंतर दर्ज किया गया। कहीं पारा 45 डिग्री पहुंचा, तो कहीं 34 डिग्री पर थमा।
विशेषज्ञों का कहना है कि शहरीकरण से गर्मी और भी बढ़ी है। पहले 6 ऋतुएं महसूस होती थीं और अब केवल 3 बची हैं। साल के 12 महीनों में सिर्फ 1 महीना ही ठंड पड़ती है।
AC की बढ़ती मांग
लोग अब एसी पर ज्यादा निर्भर हो रहे हैं। 2021 में केवल 6 प्रतिशत परिवारों के पास एसी था। 2023 में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत पहुंचा। यानी हर 100 परिवारों में 15 परिवार अब एसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। महज दो साल में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
सर्वे के बाद सबसे गर्म इलाकों के लिए बनी योजना
- सालियासाही की छतों पर सफेद पेंट।
- घरों व संस्थानों पर ग्रीन रूफ और गार्डन।
- व्यावसायिक इमारतों में सोलर पैनल।
- जनपथ में अर्बन पार्क, पौधारोपण, जलाशयों का पुनरुद्धार।
- भवनों की ऊंचाई पर नियंत्रण।
आईफॉरेस्ट सीईओ चंद्र भूषण के मुताबिक, इन उपायों से सालयासाही में दिन का तापमान 2.4 डिग्री घट सकता है। प्रचंड गर्मी में 5.1 डिग्री तक कमी आ सकती है। रात में 1.1 डिग्री की राहत। जनपथ में 0.7 डिग्री तक कमी संभव है।
भुवनेश्वर की मेयर सुलोचना दास ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि हम छोटे-छोटे क्षेत्रों में घने जंगल बनाने पर काम कर रहे हैं। आईफॉरेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्ययोजना तैयार होगी।
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