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    कोल माइन द्वारा अधिग्रहित गांव में छात्रावास निर्माण पर सवाल, डीएमएफ फंड के दुरुपयोग का आरोप

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 03:07 PM (IST)

    सुंदरगढ़ जिले में खनन क्षेत्र के गांव में छात्रावास निर्माण पर सवाल उठ रहे हैं। जिला खनिज निधि से 3.7 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस छात्रावास का निर्माण ऐसे क्षेत्र में हो रहा है जहां जमीन पहले ही अधिग्रहित हो चुकी है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह धन का दुरुपयोग है क्योंकि गांव के लोग जल्द ही विस्थापित हो जाएंगे।

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    खदान ने अधिग्रहित कर ली गांव की जमीन

    जागरण संवाददाता, राउरकेला। सुंदरगढ़ जिले के हेमगिर ब्लॉक की गोपालपुर पंचायत के झुपुरुंगा गांव के हल्दीबहाल उच्च प्राथमिक विद्यालय में 60 सीटों वाले छात्रावास का निर्माण शुरू हो गया है।

    इसके लिए जिला खनिज निधि (डीएमएफ) से 3.7 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्वीकृत इस भवन का कार्य वर्तमान में प्रगति पर है। इसे पूरा होने में एक से डेढ़ साल का समय लगेगा।

    इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के गरीब छात्रों के रहने की व्यवस्था होगी। लेकिन छात्रावास का उपयोग बच्चे नहीं कर पाएंगे। क्योंकि यह पाड़ा महानदी ओपन कोल माइन के अंतर्गत आता है और गांव की जमीन अधिग्रहित कर ली गई है।

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    बढ़ी हुई मुआवजा राशि का इंतजार

    जो परिवार विस्थापित होंगे उन्हें उनकी भूमि और मकान के लिए मुआवजा पहले ही मिल चुका है। केवल पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन नीति 2013 के तहत मिलने वाली बढ़ी हुई मुआवजा राशि का इंतजार है।

    इसे प्राप्त करने के बाद, एक वर्ष के भीतर लोग गांव छोड़कर पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन कॉलोनी में चले जाएंगे। इसके बाद गांव खनन क्षेत्र में चला जाएगा। यह सब जानते हुए भी जिला खनिज संस्थान निधि से तीन करोड़ रुपये की लागत से यहां छात्रावास निर्माण पर सवाल उठ रहे हैं।

    यह गांव के बच्चों के लिए नहीं, बल्कि ठेकेदारों और अधिकारियों के लिए के लिए निर्माण होने का लोगों ने सीधे शिकायत की है और इसे जिला खनिज संस्थान के धन के दुरुपयोग का एक बड़ा उदाहरण बताया है।

    खनिज संस्थान से 40 लाख रुपये स्वीकृत

    इससे पहले 2022 में इसी पंचायत के पाटनपाली गांव में मुंडा पोखरी के जीर्णोद्धार के लिए जिला खनिज संस्थान से 40 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे।

    हालांकि प्रशासन ने कोयला खदान के लिए तालाब की भूमि का पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी होने की बात कहते हुए इसे रद्द कर दिया था। गांव में पानी की समस्या होने के बावजूद अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया।

    विस्थापित नेता राजेंद्र नायक ने सवाल उठाया कि प्रशासन, जिसने एक अस्थायी परियोजना को खारिज कर दिया था, जो लोगों के लिए बहुत जरूरी थी, अब उसी पंचायत में 3 करोड़ रुपये की लागत से एक स्थायी परियोजना, एक छात्रावास भवन का निर्माण कैसे कर रहा है।

    धन के दुरुपयोग का आरोप

    हाल ही में, सुंदरगढ़ जिले में विभिन्न विकास योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के नाम पर जिला खनिज संस्थान के धन के व्यापक दुरुपयोग के आरोप लगे हैं।

    धन के दुरुपयोग के आरोपों के बीच संस्थान का प्रबंधन आउटसोर्सिंग फर्म ईएंडवाई को सौंपे जाने के बाद, इसी महीने इसकी साझेदार फर्म ओम कम्युनिकेशन की नियुक्ति पर भी चर्चा हो रही है।

    इस संगठन को सिर्फ फोटो लेने, वीडियो बनाने और दस्तावेज तैयार करने के लिए सालाना 80 लाख रुपये दिए जाएंगे। खदानों के विस्थापितों और प्रभावितों के लिए लड़ने वाली जनशक्ति विकास परिषद ने मांग की है कि डीएमएफ फंड का यह दुरुपयोग रोका जाए।

    यदि गांव की जमीन पहले ही अधिग्रहित हो चुकी है, तो वहां छात्रावास भवन बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस संबंध में जिला कलेक्टर का ध्यान आकर्षित कर कार्रवाई की जाएगी।- सुरंजन साहू, प्रभारी मुख्य कार्यपालक अधिकारी, डीएमएफ