पराली जलाते हुए किसान की जिंदा जलकर मौत, तड़पते रहे लेकिन नहीं पहुंची कोई मदद
ओडिशा के पुरी जिले में पराली जलाने के दौरान एक किसान की आग में झुलसकर मौत हो गई। किसान गजेन्द्र स्वाईं खेत में पराली जला रहे थे, तभी आग बेकाबू हो गई औ ...और पढ़ें

पराली जलाते हुए किसान की जिंदा जलकर मौत
जागरण संवाददाता, अनुगुल। रविवार को ओडिशा के पुरी जिले के पिपिली थाना क्षेत्र अंतर्गत सुनमुखिन गांव में धान की पराली जलाने के दौरान एक हृदयविदारक हादसा हो गया। खेत में आग लगाते समय आग अचानक बेकाबू हो गई, जिसकी चपेट में आकर सुनमुखिन गांव निवासी किसान गजेन्द्र स्वाईं की जिंदा जलकर मौत हो गई। घटना के बाद पूरे गांव में शोक की लहर फैल गई है।
जानकारी के अनुसार, किसान गजेन्द्र स्वाईं धान की कटाई के बाद खेत में बचे अवशेष यानी पराली को जलाकर अगली फसल के लिए खेत साफ कर रहे थे। इसी दौरान तेज हवा के कारण आग तेजी से फैल गई।
समय पर मदद नहीं मिलने से मौत
चारों ओर लपटें और घना धुआं फैलने से गजेन्द्र स्वाइन बाहर नहीं निकल सके और गंभीर रूप से झुलस गए। आसपास कोई मौजूद नहीं होने से समय पर मदद नहीं मिल पाई और उनकी मौके पर ही जल कर मौत हो गई।
घटना की सूचना मिलते ही पिपिली पुलिस मौके पर पहुंची। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में आग के अचानक फैलने की वजह पराली में लगी तेज लपटें और हवा को माना जा रहा है।
किसान के परिवार में मचा कोहराम
इस दर्दनाक हादसे के बाद मृतक किसान के परिवार में कोहराम मच गया है व गांव में मातम का माहौल हैं। किसानों के बीच पराली जलाना एक आम परंपरा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह जोखिम भरा अभ्यास है और इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर होने के साथ साथ जान-माल का नुकसान भी हो सकता है।
भारत के अन्य हिस्सों में भी पराली जलाने के कारण पर्यावरण और किसानों को जुर्माना या एफआईआर का सामना करना पड़ रहा है, जबकि प्रशासन वैकल्पिक उपायों की दिशा में काम कर रहा है।
इस हादसे ने यह स्पष्ट किया है कि पराली प्रबंधन के सुरक्षित तरीकों पर प्रशासन और किसानों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह की दु:खद घटनाओं को रोका जा सके।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।