ओडिशा में समुद्र की बढ़ती रफ्तार, रामतरा से एरसमा तक गांवों पर मंडराया खतरा
जगतसिंहपुर जिले के एरसमा तट पर समुद्र का खतरा बढ़ रहा है। शियाली बीच के बाद अब रामतरा के पास भी समुद्र ने तट को लांघना शुरू कर दिया है जिससे तटीय गांवों में दहशत है। एरसमा क्षेत्रवासियों और तट सुरक्षा समिति पत्थरबांध बनाने की मांग कर रहे हैं पर प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। शियाली बीच के पास तटरेखा तोड़कर दहशत फैलाने के बाद अब रामतरा के पास भी समुद्र ने तट को लांघना शुरू कर दिया है। नतीजतन जगतसिंहपुर जिले का एरसमा तट गंभीर खतरे में पड़ गया है।
शियाली बीच के पास तटरेखा टूटने से एरसमा तट में दहशत का माहौल बना था, अब वही स्थिति रामतरा के पास भी शुरू हो गई है। इसके चलते जगतसिंहपुर जिले के एरसमा तट पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। समुद्र तटीय गांवों में भय का वातावरण व्याप्त हो गया है। प्रशासन की ओर से अब तक कोई एहतियाती कदम न उठाए जाने के कारण खतरा लगातार बढ़ रहा है।
पहले से ही हवाखाना से जटाधारी मुहान तक पत्थरबांध (सी-वाल) बनाने की मांग एरसमा क्षेत्रवासियों और तट सुरक्षा समिति की ओर से की जा रही थी, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। समुद्र किनारे स्थित झाऊं के जंगल (कैसुरिना फॉरेस्ट) का क्षरण हो रहा है। रामतरा तट के पास झाऊं का जंगल काटकर साफ कर देने से ज्वार की मार और तेज हो गई है।
इसी तरह पहले शियाली बीच का व्यू टावर भी समुद्र की ज्वार की मार से क्षतिग्रस्त हो चुका है। वर्तमान स्थिति में हवाखाना से रामतरा तक लगभग 3 किलोमीटर क्षेत्र गंभीर खतरे में है।
पत्थरबांध नहीं बने तो समुद्र में समा जाएंगे कई गांव
पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि समुद्र तट पर पत्थरबांध निर्माण के साथ-साथ हेंताल (पांदमुनि) का जंगल तैयार किया जाए, तो ज्वार की मार को रोका जा सकता है और वन विभाग की ओर से वृक्षारोपण कर स्वस्थ पर्यावरण भी बनाया जा सकता है। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जाने के कारण स्थानीय इलाकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
समुद्र तट टूटने से शियाली के साथ पद्मपुर और गढ़ हरिशपुर पंचायत के गांवों पर भी खतरा मंडराने लगा है। यदि तुरंत पत्थरबांध का निर्माण नहीं हुआ तो स्थानीय क्षेत्र के डूब जाने की आशंका जताई गई है।
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