फर्जी बैंक गारंटी रैकेट मामले में ED का एक्शन, बिस्वाल ट्रेडलिंक कंपनी के MD को PMLA के तहत किया गिरफ्तार
ओडिशा में ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को फर्जी बैंक गारंटी रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उन पर रिलायंस ग्रुप के लिए 68 करोड़ की फर्जी गारंटी जारी करने का आरोप है। ईडी ने भुवनेश्वर और कोलकाता में छापेमारी की जिसमें कई अघोषित बैंक खाते और फर्जी लेनदेन का पता चला।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक ओडिशा-आधारित कंपनी के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर व्यापार समूहों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का रैकेट चला रही थी। इसमें रिलायंस ग्रुप की एक कंपनी के लिए 68 करोड़ की कथित गारंटी भी शामिल है। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को दी।
यह मामला भुवनेश्वर स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक नामक कंपनी से जुड़ा है। ईडी ने इस मनी लॉन्ड्रिंग केस में शुक्रवार को छापेमारी की थी। कंपनी के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को शुक्रवार को भुवनेश्वर से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत हिरासत में लिया गया।
अदालत ने उन्हें 6 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। ईडी की यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा नवंबर 2024 में दर्ज एक एफआईआर पर आधारित है।
शुक्रवार को ईडी ने कंपनी के भुवनेश्वर में तीन ठिकानों और कोलकाता में एक सहयोगी इकाई पर छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, कंपनी आठ प्रतिशत कमीशन के बदले फर्जी बैंक गारंटी जारी करती थी।
ईडी ने बताया कि 68.2 करोड़ की एक फर्जी बैंक गारंटी को सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) को रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड (रिलायंस पावर की एक सहायक कंपनी) की ओर से जमा किया गया था।
ईडी ने हाल ही में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की मुंबई स्थित कंपनियों पर छापेमारी के दौरान इस लेनदेन से जुड़े कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं। रिलायंस ग्रुप के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि रिलायंस पावर इस मामले में धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश का शिकार हुई है और इस बारे में 7 नवंबर 2024 को स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी गई थी।
उन्होंने बताया कि कंपनी ने अक्टूबर 2024 में दिल्ली पुलिस EOW में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी और अब कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। ईडी को कई अन्य कंपनियों के साथ इस तरह के संदिग्ध लेनदेन के सुराग मिले हैं और इसकी जांच चल रही है।
सूत्रों ने बताया कि कंपनी के कई अघोषित बैंक खाते पाए गए हैं, और इसके लेनदेन इसकी घोषित आय के अनुपात में नहीं हैं। अब तक करीब सात अघोषित बैंक खाते सामने आए हैं।
जांच में पता चला कि कंपनी ने एसबीआई (sbi.co.in) जैसा दिखने वाला एक फर्जी डोमेन (s-bi.co.in) बनाया था ताकि यह दर्शाया जा सके कि ईमेल भारत के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक से आ रहे हैं।
इसी नकली डोमेन का उपयोग कर एसईसीआई को जाली पत्राचार भेजा गया। ईडी ने इस फर्जी डोमेन के रजिस्ट्रेशन विवरण के लिए एनआईएक्सआई (नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया) को पत्र लिखा है।
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बिस्वाल ट्रेडलिंक ने कमीशन के लिए फर्जी बिल भी तैयार किए और कई अघोषित खातों के जरिए करोड़ों रुपये का लेनदेन किया। जांच में यह भी सामने आया कि यह कंपनी केवल कागज़ों पर मौजूद एक इकाई है।
इसका रजिस्टर कार्यालय एक रिश्तेदार के आवासीय पते पर है और वहां कोई कंपनी दस्तावेज नहीं मिले। सूत्रों ने यह भी दावा किया कि कंपनी से जुड़े प्रमुख व्यक्ति टेलिग्राम ऐप के डिसपेयरिंग मेसेज मोड का उपयोग करते थे ताकि बातचीत को छिपाया जा सके।
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