ओडिशा में इको-टूरिज्म को मिल रहा बढ़ावा, देश-विदेश से आ रहे पर्यटक, सतकोसिया बनी लोगों की पहली पसंद
सतकोसिया अभयारण्य और सिमलीपाल नेशनल पार्क में इको-टूरिज्म के जरिए राज्य के पर्यटन विभाग का अच्छी खासी कमाई हो रही है। हालांकि इन दो बाघ परियोजनाओं में सतकोसिया ने सिमलीपाल को पीछे छोड़ दिया है। कमाई के मामले में सतकोसिया आगे है।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। सतकोसिया अभयारण्य ने इको-टूरिज्म में बेहतर संख्या में पर्यटकों को आकर्षित किया है। सतकोसिया टाइगर प्रोजेक्ट को सिमलीपाल की तुलना में देश-विदेश के पर्यटकों से बेहतर आय प्राप्त हुई है। सिमलिपाल की तुलना में सतकोसिया अभयारण्य ने प्रकृति आवासों से कुल 10 लाख रुपये अधिक कमाए हैं। वन और पर्यावरण विभाग के आंकड़े न केवल इस बारे में बताते हैं, बल्कि यह भी साबित करते हैं कि ऑनलाइन बुकिंग में ओडिशा की दो बाघ परियोजनाओं में सतकोसिया पर्यटकों का पसंदीदा रहा है।
सिमलीपाल में महाबल बाघ की है मौजूदगी
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, ओडिशा में दो बाघ परियोजनाएं सिमलीपाल और सतकोसिया हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने इसे महाबल बाघ के लिए एक निवास स्थान के रूप में बाघ परियोजना के रूप में मान्यता दी है। सतकोसिया में जहां महाबलों की संख्या लगभग शून्य हो गई है, वहीं सिमलीपाल में महाबल की मौजूदगी ने प्रदेश को गौरवान्वित किया है।
राज्य में इको-टूरिज्म से पर्यटन को बढ़ावा
राज्य सरकार ने ओडिशा के कुल 18 जिलों में इको-टूरिज्म विकसित किया था। 2016-17 से इस वर्ष तक पर्यटकों के लिए कुल 48 प्राकृतिक आवास बनाए गए थे। शहर की भाग-दौड़ भरी जिंदगी से कुछ सुकून के पल पाने के लिए प्रकृति निवास की योजना बनाई गई थी ताकि पर्यटक कुदरत के नजदीक कुछ वक्त बिता सके। इन प्राकृतिक आवास के लिए ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था की गई थी। देश-विदेश के पर्यटकों को ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा देने के साथ उनके रहने, खाने और घूमने की सुविधा उपलब्ध की गई है।
नेचर हैबिटेट में पर्यटकों के आगमन से हो रही कमाई
सतकोसिया अभयारण्य दो जंगलों का संगम है। सतकोसिया वन परिक्षेत्र अनुगुल जिले में महानदी गंडार के दूसरी ओर स्थित है, जबकि नयागढ़ जिले में महानदी वन्यजीव अभयारण्य ने सतकोसिया में पर्यटन की जिम्मेदारी को संभाल रखा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 से अब तक राज्य सरकार ने अनुगुल जिले की ओर कुल पांच प्रकृति आवास का विकास किया है।
सरकार ने टिकरपड़ा, छोटकेई, तरवा, बाघमुंडा और पुरानाकोट में स्थित इस नेचर हैबिटेट पर कुल 4.55 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि ऑनलाइन बुकिंग से 4.22 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। हालांकि, सतकोसिया वन्यजीव अभयारण्य को खर्च से लगभग 55 लाख रुपये अधिक का नुकसान हुआ है, लेकिन नयागढ़ जिले के सातकोसिया अभयारण्य के जंगलों में से एक सतकोसिया की आय में वृद्धि हुई है।
सतकोसिया के मुकाबले सिमलीपाल की आय कम
सरकार ने सतकोसिया वन्यजीव अभयारण्य के बजाय महानदी वन्यजीव अभयारण्य पर पैसे का तीन से अधिक हिस्सा खर्च किया। सतकोसिया सैंड रिसॉर्ट को सरकार ने बड़ामूल में महानदी रेत पर केवल 1,44,51,000 रुपये की लागत से बनाया था। इस सैंड रिसॉर्ट ने सतकोसिया पर्यटन को चार गुना से अधिक आय दी है।
विभाग के सूत्रों के अनुसार, सरकार ने रिसॉर्ट से 6,29,04,000 रुपये कमाए हैं। सतकोसिया के दोनों वन पैच को मिलाने से सतकोसिया अभयारण्य को कुल 10 करोड़ 71 लाख 52 हजार रुपये की कमाई हुई है, लेकिन सिमलीपाल की आय तुलना में कम है।
प्रकृति निवास से पर्यटन विभाग को लाभ
आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने उत्तरी सिमलिपाल डिवीजन के गुडुगुडिया, जामुआणी, कुमारी, रामतीर्थ और बरेहीपानी में पांच प्रकृति शिविर स्थापित करने के लिए कुल 7 करोड़ 6 लाख 30 हजार रुपये खर्च किए थे। विभाग के सूत्रों के अनुसार ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से 'प्रकृति निवास' के रूप में पर्यटकों से 9,61,15,000 रुपये की कमाई हुई है।
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