ओडिशा के धवलेश्वर में धारा 144 लगने से भक्तों में निराशा, झूला पुल की जर्जर हालत देख लिया फैसला
ओडिशा के धवलेश्वर धाम (Dhavaleshwar Dham) में भक्तों की भीड़ थी लेकिन अब कटक जिले के महानदी के टापू पर मौजूद धवलेश्वर पीठ में अनिश्चितकाल के लिए 144 लागू कर दी गई है। मोरबी में हुए हादसे के बाद पुल की जर्जर हालत देख ये कदम उठाया गया है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। पहले दो साल कोरोना की पाबंदियों के कारण तो अब झूला पुल की अवस्था जर्जर होने के कारण श्रद्धालुओं को बाबा धवलेश्वर के दर्शन से वंचित होना पड़ा है। इस साल सब कुछ ठीक चल रहा था। भक्तों को उम्मीद थी कि बाबा के दर्शन होंगे, मगर पल भर में सारी उम्मीदें पर पानी फिर गया।
एक दिन पहले जहां बाबा धवलेश्वर धाम में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली थी वहीं आज बाबा धवलेश्वर धाम से लेकर झूला पुल सब जगह केवल पुलिस का पहरा नजर आ रहा है। कटक जिले के महानदी के टापू पर मौजूद धवलेश्वर पीठ में अनिश्चितकाल के लिए 144 धारा लगाने से श्रद्धालु निराश हैं।
प्रशासन के फैसले से श्रद्धालुओं को लगा झटका
गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के बाद, स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर धवलेश्वर पीठ में अनिश्चित काल के लिए धारा 144 लागू कर दी है। पंचक शुरू होते ही प्रशासन के इस फैसले से श्रद्धालुओं को बड़ा झटका लगा है।
खासकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। गुजरात के मोरबी में हैंगिंग ब्रीज गिरने के बाद कटक जिला प्रशासन ने सतर्कता के तौर पर कटक आठगढ़ के प्रसिद्ध शैव पीठ जाने के लिए बने धबलेश्वर हैंगिंग ब्रीज (झूला पुल) को दो दिन के लिए बंद कर दिया है।
अनिश्चित काल के लिए लगी धारा 144
इसके साथ ही शैव पीठ परिसर में प्रशासन ने अनिश्चित काल के लिए धारा 144 लगा दी है। झूला ब्रीज में दरार आने के कारण सरकार ने यह निर्णय लेने की बात आठगड़ के तहसीलदार प्रियव्रत दास ने मीडिया को जानकारी
देते हुए कहा है कि धवलेश्वर शैव पीठ जाने वाले इस हैंगिंग ब्रिज पर एक साथ में 600 लोगों की बजाय अब 200 लोगों को जाने की अनुमति दी गई है। फिलहाल झूला पुल की जांच करने के लिए अगले दो दिन के लिए पुल पर आवागमन को पूरी तरह से ठप करने के साथ ही शैव पीठ परिसर में धारा 144 लगा दी गई है।
उन्होंने कहा कि कोलकाता से आयी विशेषज्ञ टीम ने झूला पुल का अनुध्यान किया है। अनुध्यान करने से पता चला है कि पुल को मरम्मत करने की आवश्यकता है क्योंकि वर्ष 2006 में बनने वाले इस झुला पुल में झूला पुल में 12 जगहों पर दरार आ गई है।
कार्तिक पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की होती है भारी भीड़
कटक महानदी के टापू में मौजूद इस प्राचीन शैव मंदिर कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रदेश भर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस दिन यहां भारी भीड़ होती है। इस शैव पीठ में जाने के दो ही माध्यम एक है नाव जिससे यात्रा सुरक्षित नहीं होने से पहले से ही इस मार्ग प्रशासन ने बंद किया हुआ है। दूसरा मार्ग यह झुला पुल था जो अब कमजोर हो गया है। प्राचीन है। इससे पहले लोग नाव से जाते थे। एकमात्र सहारा था।
2006 में बनकर तैयार हुए झूला ब्रिज वर्ष 2000 में किया गया था शिलान्यास
महानदी के टीले में मौजूद प्रसिद्ध धवलेश्वर पीठ जाने का पहले एकमात्र साधन नाव हुआ करती थी। इससे अक्सर यहां नाव से हादसा हुआ करता था। ऐसे में सरकार ने महानदी में 254 मीटर लम्बा एवं 2 मीटर चौड़ा झूला बनाने के लिए सन् 2000 में शिलान्यास किया जो कि 2006 में बनकर तैयार हुआ।
झुला पुल से जाने वाले प्रत्येक यात्री के लिए 10 रुपये टिकट की व्यवस्था है। झूला जब बनकर तैयार हुआ था तब इस झूला पुल से एक साथ 1500 लोगों को जाने की अनुमति थी, जिसे बाद में झूला की स्थिति को देखते हुए 1000, फिर 800 फिर 600 कर दिया गया था। गुजरात में हादसे के बाद अब 200 लोगों एक साथ जाने की इजाजत दी गई है।