वीर सुरेंद्र साय की जयंती पर संबलपुर पहुंचे धर्मेंद्र प्रधान, नई शिक्षा नीति पर की चर्चा
Surendra Sai Jayanti वीर सुरेंद्र साय की सोमवार को जयंती मनाई गई। इस अवसर पर संबलपुर जिला के खिंडा गांव स्थित उनकी जन्मभूमि पर केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने वीर सुरेंद्र साय के पड़पोते लाल फकीर साय का सम्मान किया और पदयात्रा में शामिल हुए।

संबलपुर, संवाद सूत्र। अंचल के महान माटीपुत्र व विशिष्ठ स्वाधीनता सेनानी वीर सुरेंद्र साय की सोमवार को जयंती मनाई गई। इस अवसर पर संबलपुर जिला के खिंडा गांव स्थित उनकी जन्मभूमि पर केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी पहुंचे। उन्होंने वीर सुरेंद्र साय के त्याग और बलिदान को नमन करने समेत अफसोस जताया और कहा कि देश के इतिहास में वीर सुरेंद्र साय समेत ऐसे कई माटीपुत्र उपेक्षित रह गए हैं जिन्हें इतिहास में उचित स्थान और सम्मान नहीं मिला, जिसपर उनका अधिकार था। उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस और वीर सुरेंद्र साय को ओडिशा माटी का गौरव बताया।
नई शिक्षा नीति में भूले-बिसरे वीरों की गाधा पर रहेगा जोर
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाने पर विचार कर रही है। इस नीति के तहत पाठ्य पुस्तकों में भूले-बिसरे माटीपुत्रों की वीरगाथा को शामिल किया जाएगा, जिससे देश की नई पीढ़ी को अपने देश का इतिहास जानने समेत अपने वीर सेनानियों को जानने का मौका मिल सकेगा। उन्होंने आगे बताया कि वीर सुरेंद्र साय जैसे महान माटीपुत्र की जन्मभूमि पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि देना उनके लिए गर्व और गौरव की बात है।
इतिहास में साय को मिलना था उचित स्थान: धर्मेंद्र प्रधान
साय एक ऐसे सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जन आंदोलन शुरु किया था और अपने जीवन के दीर्घ 37 वर्ष उन्हें जेल में बिताने पड़े थे। विश्व भर में शायद ही किसी को इतने वर्ष जेल में गुजारने पड़े होंगे। बावजूद इसके वीर सुरेंद्र साय को इतिहास में उचित स्थान और सम्मान नहीं मिला। सोमवार के दिन, अपने निर्धारित समय से करीब चार घंटे विलंब से खिंडा गांव पहुंचने के बाद केंद्रीय मंत्री प्रधान ने पदयात्रा करते हुए वीर सुरेंद्र साय की प्रतिमा तक पहुंचे और माल्यार्पण किया।
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