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    श्रीक्षेत्र धाम से खत्म हो जाएगा बगला धर्मशाला का अस्तित्व, भक्‍तों को नहीं मिलेगा सेवा का लाभ

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Thu, 20 Aug 2020 02:53 PM (IST)

    Bagla Dharamshala देश भर से आने वाले तीर्थयात्रियों को अब नहीं मिलेगा बगला धर्मशाला की सेवा का लाभ श्रीक्षेत्र धाम से खत्म होने वाला है इसका अस्तित्व ...और पढ़ें

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    श्रीक्षेत्र धाम से खत्म हो जाएगा बगला धर्मशाला का अस्तित्व, भक्‍तों को नहीं मिलेगा सेवा का लाभ

    भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। श्रीक्षेत्र धाम में देश भर से आने वाले भक्तों को अब बगला धर्मशाला की सेवा का लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि इस धर्मशाला का अस्तित्व ही खत्म होने वाला है। जानकारी के मुताबिक पुरी बड़दांड में सैकड़ों सालों से भक्त एवं पर्यटकों को कम कीमत में सेवा मुहैया करने वाले बगला धर्मशाला को पुरी जिला प्रशासन ने 6 विस्थापित लोगों को बेच देने की बात सामने आयी है। बलगंडी मौजा में मौजूद इस धर्मशाला की 340 डेसीमिल जमीन को 6 लोगों को बेची गई है। दान में मिली जमीन को जिला प्रशासन ने गैरकानूनी ढंग से प्लाटिंग करने को लेकर बेचे जाने की बात सामने आने पर सामाजिक कार्यकर्ता जगन्नाथ बस्तिया ने नाराजगी जाहिर करते हुए गैरकानूनी ढंग से इस धर्मशाला को बेचे जाने का आरोप लगाया है। 

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     वहीं दूसरी तरफ कुछ बुद्धिजीव तथा स्थानीय लोगों ने कहा है कि दान में मिलने वाली जमीन को जिलाधीश ने कैसे बेच दिया, इस संबन्ध में राज्य सरकार की अनुमति है या नहीं, यह स्पष्ट होना चाहिए। गौरतलब है कि सन् 1905 में कन्हैयालाल नामक एक व्यक्ति इस धर्मशाला को तैयार कर इसे महाप्रभु के उद्देश्य में दान किया था। बाहर से आने वाले भक्तों कम पैसे में रहने की सुविधा मिल सके उसके लिए इस धर्मशाला का निर्माण करने के साथ ही इसके रख रखाव के लिए उस समय 85 हजार रुपया दान किया था। बाद में इसे पुरी जिलाधीश को हस्तांतर कर दिया गया। पुरी जिलाधीश की अध्यक्षता में रहने वाले लीज हाउस फंड के जरिए इस धर्मशाला की देख रेख की जाती थी। इस सरकारी धर्मशाला में भक्त मात्र 50 से 100 रुपये के अन्दर घर किराए पर लेकर रह रहे थे। साल भर यह धर्मशाला भक्तों की सेवा में लगी रहती थी। वर्ष 2018 में इस धर्मशाला का नवीकरण करने का निर्णय हुआ। पुराने कमरों को तोड़कर काम भी शुरु हुआ था। केन्द्र सरकार के प्रसाद योजना में इसके लिए 18 करोड़ रुपया अनुदान मिला था। इस काम में करीबन 2 करोड़ रुपया खर्च भी हो चुका है। 

    हालांकि प्रशासन ने अब इस ऐतिहासिक धर्मशाला को कारीडर के लिए विस्थापित होने वाले इसकी जमीन बेच दी है। बिक्री करने के लिए आरओआर में भी बदलवा कर इसे राजस्व एवं आपदा विभाग के नाम से कर दिया गया है। पहले यह लाजिंग हाउस फंड के नाम से था। इसे लेकर श्रीबस्तिया ने 2019 फरवरी 12 तारीख को हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दाखिल किया था। बाद में हाईकोर्ट ने भी 2019 दिसम्बर 1 तारीख को राज्य सरकार को इस संबन्ध में नोटिस दिया था। यह मामला अभी विचाराधीन है। ऐसे में पुरी के जिलाधीश इसे पुरी के जिलाधीश ने बिक्री करने का उन्होंने आरोप लगाया है। पिछले 5 से 12 अगस्त के बीच जिलाधीश ने 6 लोगों को नाम से इसे बेचने की दलील उन्होंने दी है। ऐसे में इस मामले की जांच करने के साथ जिलाधीश के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की जा रही है।