राजनीतिक सभा हो तो कोरोना नहीं फैलता, तो क्या धार्मिक सभा कोरोना को आमंत्रित करती है: जगत गुरू शंकराचार्य
जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कोरोना को लेकर दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए। राजनीतिक सभा में कोरोना नहीं फैलता है तो क्या धार्मिक कार्यों में कोरोना को बुलाया जाता है। बिना भक्तों के नहीं बल्कि सीमित भक्तों को लेकर निकाली जा रही है रथयात्रा।

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण को लेकर दोहरे मापदंड नहीं अपनाए जाने चाहिए। सोमवार को रथारूढ़ भगवान का दर्शन करने पहुंचे जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने यह बात कही है। जगतगुरू ने कहा कि राजनीतिक सभा हो तो कोरोना नहीं फैलता है, तो क्या धार्मिक सभा में कोरोना को आमंत्रण दिया जाता है। जगत गुरू ने कहा कि बिना भक्तों के नहीं बल्कि सीमित भक्तों को लेकर महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकाली जा रही है ऐसे में यह कहना गलत है कि बिना भक्तों की रथयात्रा हो रही है।
जहां भगवान, वहीं भक्त
जहां भगवान हैं, वहीं भक्त हैं और जहां भक्त हैं वहीं भगवान है। आप और हम सब भगवान के भक्त हैं जो लोग रथ खींच रहे हैं, वह भी जगन्नाथ जी के भक्त हैं, जगतगुरू शंकराचार्य ने कहा है कि कोरोना से लेकर जो सावधानी बरतनी चाहिए, सरकार ना बरते तो लोग कहते हैं कि सरकार ने सख्ती नहीं की और यदि सरकार सख्ती कर रही तो लोग कह रहे हैं कि सरकार उन्हें भगवान का दर्शन करने नहीं दे रही है।
दोहरा मापदंड नहीं अपनाना चाहिए
पश्चिम बंगाल एवं बिहार में हुए चुनाव को याद दिलाते हुए जगत गुरू शंकराचार्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव हुआ, बिहार में चुनाव हुआ, वहां लाखों की संख्या में लोगों का समागम हुआ, खुद प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री की सभा में समागम हुआ, तब कोरोना नहीं फैला मगर जब धार्मिक कार्य होता है तो कोरोना फैलता है। क्या धार्मिक कार्य में कोरोना को बुलाया जाता है और राजनीतिक कार्य में कोरोना को भगाया जाता है। इस तरह की दोहरी नीति नहीं होनी चाहिए। प्रशासन को दोहरा मापदंड नहीं अपनाना चाहिए।
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