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नंगी आंख से दिखेगा धूमकेतु, 23 साल बाद मिला विरल अवसर; जानें क्या है धूमकेतु, कहां से आता है

धूमकेतु सी/2020 एफ-3 को लोग नंगी आंखों से देख पाएंगे 23 साल पहले 1997 में हेल वफ धूमकेतु को नंगी आंख से देखा गया था।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 08:08 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 08:08 AM (IST)
नंगी आंख से दिखेगा धूमकेतु, 23 साल बाद मिला विरल अवसर; जानें क्या है धूमकेतु, कहां से आता है

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। इस शताब्दी में पहली बार नंगी आंख से विरल किस्म के धूमकेतु को देखने का अवसर मिला है। इस धूमकेतु का नाम सी/2020 एफ-3 है। पिछली 3 तारीख को यह सूर्य से सबसे निकट तक पहुंचा था। 22 जुलाई को 10.3 करोड़ किमी. दूरी पर यह पृथ्वी के निकट होगा। इस धूमकेतु को लोग नंगी आंख से देख पाएंगे। 

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पठाणी सामन्त प्लानेटोरियम के उप निदेशक डा. शुभेन्दु पटनायक ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि सी बटा 2020 एफ-3 धूमकेतु सूर्य से 31.2 करोड़ किलोमीटर दूरी पर रहने के समय 27 मार्च को निओवाइन दूरबीन के जरिए इसे देखा गया था। उस समय यह केवल बड़ी दूरबीन से ही दिखाई दे रहा था। अचानक  जुलाई के आरंभ से यह नंगी आंख से भी दिखाई देने लगा है। इससे पहले यदि धूमकेतु आटलास एवं स्वान आया था मगर नंगी आंख से नहीं दिख रहा था। अब नंगी आंख से इसे देखा जाना एक आकस्मिक एवं विरल घटना है और इससे वैज्ञानिकों में खाफी उत्साह है। डा. पटनायक ने कहा है कि 1997 में अंतिम बार के लिए हेल वफ धूमकेतु को नंगी आंख से देखा गया था।

जानें कब तक दिखेगा नंगी आंखों से 

 वर्तमान समय में वायु प्रदूषण नहीं है ऐसे में कुछ जगहों पर नंगी आंख से सी/2020 एफ-3 दिखाई दे रहा है। यह सूर्यास्त के के बाद उत्तर-पश्चिम दिशा में कुछ समय समय 25 से 30 मिनट तक दिखाई दे रहा है। हालांकि आज इस समय के दौरान आसमान में बादल रहने से यह दिखाई नहीं दिया है। हर दिन यह धूमकेतु धीरे-धीरे ऊपर की तरफ जाएगा और जुलाई महीने के अंत तक यह 40 डिग्री ऊपर पहुंच जाएगा। उस समय यह सप्तर्षि मंडल के पास रहेगा और करीबन 1 घंटे तक दिखाई देगा। सूर्य से दूरी बनते जाने से धीरे-धीरे इसकी चमक कम हो जाएगी। परिणाम स्वरूप 30 जुलाई के बाद से यह नंगी आंख से नहीं दिखेगा। आसमान यदि साफ रहता है तो फिर 30 जुलाई तक इसे आसमान में नंगी आंख से देखा जा सकेगा।

क्या है धूमकेतु और कहां से आता है

 डा. पटनायक ने कहा है कि गांव में रहने वाले छात्र-छात्राओं को ऐसे विरल अवसर का लाभ उठाना चाहिए। क्या है धूमकेतु और कहां से आता है। डा. पटनायक ने कहा है कि धूमकेतु एक विशाला तारा है। लाखों की संख्या में धूमकेतु सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। सूर्य के पास एक बार कुछ तारों को कुछ साल लग जाते हैं। धूमकेतु यदि एक बार सूर्य के पास आकर दिखाई देने के बाद चला गया तो फिर उसे वापस आने में कई साल लग जाते हैं। हाली नामक धूमकेतु 76 साल के अंतराल पर दिखाई देता है। यह धूमकेतु अब 2061 में दिखाई देगा। धूमकेतु कुछ किलोमीटर व्यास के पत्थर, बर्फ एवं धूल का कठोर पिंड है। अत्यंत ठंडी अवस्था में सूर्य के पास चक्कर लगाते हैं।


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