Chhath puja 2019: भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य आज, महापर्व के लिए सज गये घाट
Chhath puja 2019 भगवान भास्कर को पहला अघ्र्य देने के लिए पूरे भुवनेश्वर में उत्साह का माहौल है छठ घाट भी सजकर छठ व्रतियों के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं।
भुवनेश्वर, जेएनएन। आस्था के महापर्व छठ को लेकर राजधानी भुवनेश्वर में उत्साह का माहौल बन गया है। छठ व्रतियों के स्वागत के लिए छठ घाट पूरी तरह से सजकर तैयार हैं। पिछले साल की तरह इस साल भी राष्ट्रीय राजमार्ग-पांच पर मौजूद कुआंखई नदी के किनारे भव्य तरीके से छठ महापर्व मनाने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
छठ पूजा कमेटी की तरफ छठ महापर्व के लिए घाट को सजा दिया गया है। हालांकि इस बार पुन: एक बार घाट बदलना पड़ा है। इस बार नदी के दूसरी तरफ नहरकंटा रोड की तरफ घाट बनाया गया है। यहां पर नदी का शुद्ध जल होने के साथ र्पािकंग के लिए भी पर्याप्त जगह है। छठ पूजा कमेटी के पदाधिकारियों ने मौका-मुआयना करने के बाद घाट नदी के दूसरे किनारे पर बनाने का निर्णय लिया। पिछले दिनों राज्य में हुई बारिश के चलते घाट नदी के दूसरे छोर में बनाना पड़ा है। यहां तक पहुंचने में छठ व्रतियों को कोई असुविधा न हो इसके लिए कमेटी की तरफ से मुख्य मार्ग से लेकर घाट तक रास्ता बना दिया गया है। साथ ही वाहनों की पार्किंग एवं घाट आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी समुचित व्यवस्था की गई है।
उल्लेखनीय है कि राजधानी भुवनेश्वर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ सूर्योपासना का महापर्व छठ मनाया जा रहा है। राजधानी में रहने वाले छठ व्रतियों के लिए कुआंखाई घाट के अलावा चिंतामणि और टंकपाणी घाट सहित पांड्रा हाईटेक के पास पर आयोजित होने वाली सामूहिक छठ पूजा को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है।
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कुआंखाई नदी के घाट पर आयोजित होने वाली सामूहिक छठ पूजा में बड़ी संख्या में व्रती शामिल होकर आज अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य देंगे। इस घाट का इंजीनियर राजकुमार, देवाशंकर त्रिपाठी, छठ पूजा कमेटी अध्यक्ष पीके अमर, संजय झा, चंद्रशेखर सिंह, विद्या मिश्र, किशल कुमार, पुष्कर ठाकुर, अनिल सिंह, शंकर यादव, गणेश वर्मा, चंद्रशेखर सिंह, विजय साहू, अरूण गिरी, राम बाबू आदि ने शुक्रवार को मौका-मुआयना कर तैयारियों की समीक्षा की।
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जानिये कौन हैं छठी मइया?
कार्तिक मास की षष्टी को छठ का पर्व मनाया जाता है। छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया को बिहार में आसान भाषा में लोग छठी मइया कहकर पुकारते हैं। ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन हैं, इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य दे लोग छठी मैया को प्रसन्न करते हैं। वहीं अगर पुराणों की बात करें तो मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठी माता का ही रूप माना गया है। छठी मइया को संतान देने वाली मां के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये पर्व संतान प्राप्ति, सुख शांति और मनोकामना पूर्ण करने के लिए भी मनाया जाता है।