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    दिदयी जनजाति की बेटी ने रचा इतिहास, नीट 2025 में एमबीबीएस सीट हासिल की

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 10:53 AM (IST)

    ओडिशा के मलकानगिरी जिले की चम्पा रस्पेडा ने NEET 2025 में सफलता प्राप्त कर इतिहास रच दिया है। वह दिदयी जनजाति से MBBS सीट पाने वाली पहली छात्रा हैं। साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली चम्पा ने यह साबित किया कि दृढ़ निश्चय से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नंदिनिगुड़ा स्थित पीवीटीजी गर्ल्स एजुकेशन कॉम्प्लेक्स से प्राप्त की।

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    नीट 2025 में एमबीबीएस सीट हासिल की

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा में जनजातीय शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायी उपलब्धि दर्ज हुई है। मलकानगिरी जिले की अमलीबेड़ा गांव (नकमामुड़ी ग्राम पंचायत, कोरुकोंडा ब्लॉक) की रहने वाली चम्पा रस्पेडा, लछमु रस्पेडा की पुत्री, ने नीट 2025 में सफलता हासिल कर बालेश्वर स्थित फकीर मोहन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एमबीबीएस में प्रवेश लेकर इतिहास रच दिया है।

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    वह दिदयी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) से एमबीबीएस सीट पाने वाली पहली छात्रा बन गई हैं।

    चम्पा, जो एक साधारण किसान परिवार से आती हैं, ने यह साबित कर दिया कि दृढ़ निश्चय और मेहनत से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। उनके पिता सीमांत किसान हैं और मां गृहिणी हैं।

    चम्पा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एसएसडी विभाग के अंतर्गत नंदिनिगुड़ा (खैरपुट ब्लॉक) स्थित पीवीटीजी गर्ल्स एजुकेशन कॉम्प्लेक्स से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एसएसडी गर्ल्स हाई स्कूल, चित्रकोंडा से पढ़ाई की और 2019 में मैट्रिक उत्तीर्ण किया।

    2021 में एसएसडी हायर सेकेंडरी स्कूल, गोविंदपाली से +2 साइंस पास करने के बाद आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बी.एससी. की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। लेकिन डॉक्टर बनने का सपना कभी टूटा नहीं।

    अपने पूर्व विज्ञान शिक्षक उत्कल केसरी दास के मार्गदर्शन में उन्होंने बलासोर में निःशुल्क नीट कोचिंग कक्षाओं में दाखिला लिया और सफलता प्राप्त की।

    पिछले कुछ वर्षों में ओडिशा के कई जनजातीय छात्रों ने नीट पास कर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीट हासिल की है।

    दिदयी जनजाति, ओडिशा की 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों में से एक है, जो मुख्यतः मलकानगिरी जिले के कुदुमुलुगुमा और खैरपुट ब्लॉकों के दुर्गम वनों में निवास करती है।

    यह जनजाति परंपरागत रूप से झूम खेती, वनोपज संग्रहण और लघु कृषि पर निर्भर रही है। ऐसे समुदाय से एक लड़की का डॉक्टर बनने की दिशा में कदम बढ़ाना सामाजिक बदलाव और सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल है।

    राज्य सरकार ने चम्पा की सफलता पर प्रसन्नता जताई है। मुख्यमंत्री ने छात्रा की इस उपलब्धि पर अपने एक्स अकाउंट के माध्यम से बधाई दी है।