Odisha: भ्रूण हत्या रोकने के लिए लोगों को जागरुक करेगी गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति, चलाएगी अभियान
Odisha संस्था का उद्देश्य भ्रूण हत्या को रोककर आनुपातिक जनसंख्या में संतुलन बनाए रखना व गर्भपात-भ्रूण हत्या के शास्त्रीय पापों की जानकारी का प्रचार-प्रसार करना है। कन्या बचाओ के साथ-साथ कन्या पढ़ाओ के तहत बालिकाओं की शिक्षा स्तर में सुधार लाकर उन्हें आत्म स्वावलम्बी और सुदृढ़ बनाना है।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वरः भ्रूण हत्या आज हमारे समाज में एक गम्भीर समस्या बन गई है। भारत सरकार की तरफ से इस पर कानूनी प्रतिबंध होने के बावजूद लोग भेदभाव करते हुए भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध कर रहे हैं। जन्म लेने वाली संतान की गर्भ में ही हत्या कर दी जा रही है।
प्रदेश में चलेगा अभियान
ऐसे में इस जघन्य पाप और अपराध को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से राजधानी भुवनेश्वर के साथ प्रदेश में भ्रूण संरक्षण जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। यह जानकारी यहां मीडिया से बात करते हुए गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति के राष्ट्रीय महासचिव श्याम सुन्दर मंत्री ने बताई है।
मीडिया को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदारी भुवनेश्वर में विभिन्न सामाजिक संस्थानों से जुड़े युवा सामाजसेवी वीरेन्द्र बेताला को दी गई है। वीरेन्द्र बेताला को समिति का ओडिशा प्रभारी बनाया गया है।
हमारा उद्देश्य भ्रूण हत्या को रोककर आनुपातिक जनसंख्या में संतुलन बनाए रखना व गर्भपात-भ्रूण हत्या के शास्त्रीय पापों की जानकारी का प्रचार-प्रसार करना है।
गर्भपात से होने वाले महिला विकारों की जानकारी लोगों तक पहुंचानी है। कन्या बचाओ के साथ-साथ कन्या पढ़ाओ के अन्तर्गत बालिकाओं की शिक्षा स्तर में सुधार लाकर उन्हें आत्म स्वावलम्बी और सुदृढ़ बनाना है। इसके साथ ही भारतीय पुरातन संस्कृति, सनातन धर्म, नैतिकता एवं संस्कारों का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करना है।
वीरेन्द्र बेताला को बनाया प्रभारी
इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रचार-प्रसार, रैलियां सेमीनार, सम्मेलन, आम सभा आदि करने के लिए देश में समर्पित कार्यकर्ताओं की इकाइयों का गठन करना है, जिसके तहत आज भुवनेश्वर में वीरेन्द्र बेताला को ओडिशा इकाई का प्रभारी बनाया गया है।
गौरतलब है कि ब्रह्मलीन स्वामी रामसुखदासजी महाराज के बार-बार कहने के बावजूद लोगों के नहीं समझने पर उन्होंने रामकिशोर तिवारी को भ्रूण हत्या रोकने के लिये गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति का गठन करने का निर्देश दिया और 3 जून 1996 को गीता भवन स्वर्गाश्रम में इस संस्था को मूर्त रूप मिला।
इसी के तहत इस विशेष उद्देश्य की जन जागृति के लिए गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति भारत को मूर्त रूप मिला और देश भर से समर्पित साधकों का पदाधिकारी मंडल व कार्यकारिणी को पूज्य स्वामीजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
संतों की प्रेरणा से स्थापित इस संस्था में कोषाध्यक्ष का पद, बैंक खाता एवं चन्दा संग्रह नहीं होता है । जोधपुर में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (रजत जयंती महोत्सव) में बहु को पढ़ाओ, बेटी के जन्म पर उत्सव मनाओ जैसे नए कार्यक्रमों को जोड़ा गया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।