Black Tiger: ओडिशा के जंगलों में दिखा अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का काला बाघ
Black Tiger in Odisha ओडिशा के जंगलों में दुर्लभ प्रजाति का काला बाघ नजर आया है पूरे प्रदेश में इस तरह क मात्र 7 से 8 बाघ मौजूद हैं। अनुवांशिंक दोष के कारण इस पर काली धारियां बन जाती हैं।
भुवनेश्वर, जेएनएन। ओडिशा में एक अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का काला बाघ देखा गया है। वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार पूरे ओडिशा में इस दुर्लभ प्रजाति के बाघ की संख्या मात्र 7 से 8 है। इस बाघ का औपचारिक नाम मैलेनिस्टिक टाइगर (Melanistic Tiger) है। बता दें कि इस बाघ पर ये काली धारियां अनुवांशिक दोष के कारण होती हैं। 2018 टाइगर जनगणना रिपोर्ट के अनुसार काली धारीदार बाघों की संख्या में भारी कमी आई है। हालांकि, यह उल्लेखनीय है कि दुनिया की 70 प्रतिशत काली बाघ आबादी ओडिशा में है।वन्यजीव विशेषज्ञ के अनुसार अन्य बाघों की तुलना में ये आकार में छोटे होते हैं, भारत में सबसे पहले 1990 में इस तरह के पहले बाघ को देखा गया था।
गौरतलब है कि कुछ माह पहले ओडिशा के सुंदरगढ़ स्थित हिमगिर फारेस्ट में भी कैमरा ट्रैप में काले तेंदुए की तस्वीरें कैद हुई थी। वन्य प्राणी विशेषज्ञ बताते हैं कि यह भारत में पाया जाने वाले तेंदुए की ही प्रजाति है। रंग काला होने के कारण इसे ब्लैक पैंथर के नाम से पुकारा जाता है।
छत्तीसगढ़ में बढ़ रहा है ब्लैक पैंथर का कुनबा
छत्तीसगढ़ समेत मध्य भारत के जंगलों में ब्लैक पैंथर (काला तेंदुआ) कुनबा बढ़ा रहा है। इनकी तस्वीरें विभिन्न अभयारण्य में लगे कैमरों से मिली है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ उदंती अभयारण्य में भी काला तेंदुआ देखा गया था।ब्लैक पैंथर को स्थानीय लोग बघीरा के नाम से पुकारते हैं।
रंग काला होने की वजह
रंग काला होने के कारण यह है कि इसकी त्वचा में मैलोनिन नामक वर्णक (पिगमेंट) ज्यादा पाए जाते हैं। वन्य विशेषज्ञा का कहना है कि ब्लैक पैंथर से दूसरे रंग के तेंदुए भी डर जाते हैं। ऐसे में इनका संख्या बढ़ना आसान नहीं होता। मादा ब्लैक पैंथर ही इनके साथ सहज होती है और संपर्क में आती है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में सबसे पहले 2011-12 में काला तेंदुआ देखा गया था। 2018 में गणना के दौरान इलकी तस्वीरें कैमरे में कैद हुई थी । तेंदुए की औसत उम्र 12 से 17 वर्ष बतायी गई है।
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