पुरी जगन्नाथ मंदिर में अब 'डिजिटल हुंडी' से होगा दान, देशभर के बैंकों में शुरू होगी 'समर्पण' योजना
ओडिशा सरकार ने श्री जगन्नाथ मंदिर के लिए समर्पण नामक डिजिटल दान प्रणाली शुरू की है। इसके तहत भक्त यूपीआई के माध्यम से कहीं से भी दान कर सकते हैं। राज्य विधि विभाग और श्रीमंदिर प्रबंधन समिति इस व्यवस्था को लागू करने में जुटे हैं। बैंकों में क्यूआर कोड उपलब्ध होंगे। इस कदम से दान प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी हालांकि साइबर सुरक्षा चिंताएं भी हैं।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। भगवान श्रीजगन्नाथ को समर्पित दान प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के लिए ओडिशा सरकार ने एक नई डिजिटल पहल की घोषणा की है। ‘समर्पण’ नाम की इस योजना के तहत पुरी स्थित श्रीमंदिर के लिए डिजिटल हुंडी की शुरुआत की जा रही है, जिससे देश भर के भक्त अब यूपीआई के जरिए कहीं से भी ऑनलाइन दान कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के निर्देश पर राज्य विधि विभाग इस व्यवस्था को लागू करने में जुटा है। श्रीमंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों ने इस कदम का जोरदार समर्थन किया है। 'समर्पण' योजना के तहत राज्य और राज्य से बाहर के विभिन्न बैंकों की शाखाओं में अलग-अलग डिजिटल हुंडी की स्थापना की जाएगी।
इसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से भक्त मंदिर को सीधा दान कर सकेंगे। इसके लिए हर बैंक शाखा में क्यूआर कोड उपलब्ध होगा, जिसे स्कैन करके दान सीधे श्रीमंदिर के खाते में जाएगा।
राज्य के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि हमारा दीर्घकालिक लक्ष्य देश के सभी बैंक शाखाओं में डिजिटल हुंडी स्थापित करना है ताकि देश-विदेश के भक्त किसी भी पर्व, अनुष्ठान या विशेष अवसर पर डिजिटल मुद्रा के माध्यम से श्रीजगन्नाथ को दान दे सकें। हम विभिन्न बैंकों के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर (सीएमडी) के साथ चर्चा कर चुके हैं और प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
यह प्रणाली न केवल भक्तों के लिए सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि दान प्रक्रिया में पारदर्शिता भी लाएगी। अब तक पुरी श्रीमंदिर को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का दान मिलता है, जिसमें बड़ा हिस्सा नकद के रूप में होता है। पिछले तीन वर्षों में मंदिर को लगभग 113 करोड़ रुपये का दान मिला है। जिसमें 59.67 करोड़ बैंक जमा के माध्यम से प्राप्त हुआ।
उम्मीद है कि डिजिटल प्रणाली के बाद यह आंकड़ा और बढ़ेगा। हालांकि, इस डिजिटल प्रणाली के साथ कुछ साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी सामने आई हैं।
पूर्व बैंकर ने आगाह किया कि फर्जी क्यूआर कोड या स्कैनर के जरिए साइबर धोखाधड़ी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने सुझाव दिया है कि कानून विभाग को आइटी विभाग के साथ समन्वय बनाकर सख्त साइबर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने चाहिए।
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