Odisha News: बरहमपुर एसपी की बढ़ी मुश्किलें, पीतबास पंडा हत्या केस में जोड़ दिया था चुनावी मुकदमा
बरहमपुर के एसपी डॉ. सरवणा विवेक एम. की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने पीतबास पंडा हत्या मामले में एसपी द्वारा चुनावी याचिका का उल्लेख करने पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने एसपी से पूछा है कि उन्होंने ऐसी टिप्पणी क्यों की और क्यों न इसे अदालत की अवमानना माना जाए। उन्हें 7 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस हिरासत में रखकर चुनावी मुकदमे को लेकर पूछताछ की गई थी।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। बरहमपुर एसपी डॉ. सरवणा विवेक एम. के लिए हालात मुश्किल बन गए हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य अधिवक्ता परिषद सदस्य पीतबास पंडा की हत्या के मामले में मीडिया को दिए गए बयान में एसपी द्वारा बरहमपुर विधानसभा सीट से संबंधित लंबित चुनाव याचिका का उल्लेख किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है।
अदालत ने निर्देश दिया है कि एसपी बताएं कि उन्होंने किन परिस्थितियों में और किस कारण से ऐसी टिप्पणी की और क्यों न इसे अदालत की अवमानना माना जाए। एसपी को 7 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करना होगा। जस्टिस शशिकांत मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश सुनाया है।
मामला क्या है?
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मनोज कुमार पंडा की ओर से दायर एक हलफनामे में बताया गया कि 22 अक्टूबर को रेलवे स्टेशन से घर लौटते समय तीन सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरन पुलिस वाहन में बैठा लिया।
उन्हें 24 अक्टूबर तक पुलिस बैरक में हिरासत में रखा गया और चुनावी मुकदमे को लेकर पूछताछ की गई। उनसे पूछा गया कि उन्होंने बरहमपुर विधायक के खिलाफ चुनाव याचिका क्यों दायर की।
इसके साथ ही अदालत का ध्यान 23 अक्टूबर को एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित समाचार की ओर दिलाया गया, जिसमें बताया गया था कि एक हत्या मामले को लेकर बरहमपुर एसपी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि विक्रम पंडा और शिवशंकर दास के बीच हुई बातचीत के आधार पर बरहयपुर विधायक के. अनिल कुमार के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यह याचिका वास्तव में शिवशंकर दास ने खुद दायर की थी, लेकिन इसे उनके एक घरेलू सहायक के नाम से दाखिल किया गया। इस मुकदमे के कानूनी खर्च और वकीलों की फीस विक्रम पंडा द्वारा दी जा रही थी। यह दावा एसपी के हवाले से किया गया था।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर यह बात सही है, तो किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा कोर्ट में लंबित चुनावी मुकदमे पर सार्वजनिक रूप से बयान देना बेहद गंभीर और अनुचित है।
वीडियो भी हुआ पेश
याचिकाकर्ता और प्रतिपक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अदालत को बताया कि एसपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो भी उपलब्ध है, जिसमें वह चुनावी मुकदमे के संभावित परिणामों पर टिप्पणी करते दिख रहे हैं। इसे अदालत ने अनुचित बताते हुए एसपी से स्पष्टिकरण मांगा है।
पहले सुरक्षा देने का भी निर्देश
उल्लेखनीय है कि 28 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता मनोज कुमार पंडा को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए बरहमपुर एसपी को निर्देश दिया था। 2024 विधानसभा चुनाव में के. अनिल कुमार को 54,997 वोट मिले थे, जबकि बीजेडी प्रत्याशी डॉ. रमेश चंद्र च्याउ पटनायक को 36,288 वोट प्राप्त हुए थे।
सामान्य मतदाता के रूप में मनोज पंडा ने इस परिणाम को चुनौती देते हुए चुनाव याचिका दायर की थी। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जी. अग्रवाल और प्रतिपक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बी. भूयान पैरवी कर रहे हैं।

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