Balasore Rail Accident: लोको पायलट निर्दोष, सिस्टम से 'छेड़छाड़' बनी हादसे की वजह; संसद में रेल मंत्री का बड़ा खुलासा
ओडिशा के बालेश्वर में हुए भीषण रेल हादसे पर संसद में चर्चा हुई। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया कि हादसे के लिए लोको पायलट जिम्मेदार नहीं थे। ...और पढ़ें

बालेश्वर रेल हादसे पर रेलमंत्री ने दिया जवाब। (जागरण)
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। ओडिशा के बालेश्वर में हुए देश के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक को लेकर ढाई साल बाद एक बार फिर संसद में चर्चा गरमा गई है।
विपक्ष द्वारा लोको पायलट की भूमिका और सुरक्षा प्रणालियों पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया कि इस त्रासदी के लिए ट्रेन चालक (लोको पायलट) जिम्मेदार नहीं थे।
रेल मंत्री ने दो-टूक कहा कि जांच में मानवीय चूक और रखरखाव के दौरान प्रोटोकॉल के उल्लंघन की बात सामने आई है, न कि लोको पायलट की गलती।
लोको पायलट पर नहीं, सिस्टम पर उठा सवाल
संसद के शीतकालीन सत्र (दिसंबर 2025) के दौरान रेल मंत्री ने बताया कि कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) और सीबीआई की गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकला है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट ने सिग्नल के अनुसार ही ट्रेन चलाई थी।
मंत्री ने उन दावों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें लोको पायलटों पर दोष मढ़ने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि दोषी वो हैं जिन्होंने सिग्नलिंग सिस्टम में शॉर्टकट और सुरक्षा नियमों की अनदेखी की।
हादसे की असली वजह: सिग्नलिंग सर्किट में अवैध बदलाव
जांच रिपोर्ट के अनुसार, हादसे की जड़ इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में किया गया गलत बदलाव था।
गलत वायरिंग: लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 पर मरम्मत कार्य के दौरान तारों की गलत लेबलिंग की गई थी, जो वर्षों तक पकड़ में नहीं आई।
शॉर्टकट का सहारा: सिग्नलिंग स्टाफ ने काम जल्दी पूरा करने के लिए निर्धारित 'टेस्टिंग प्रोटोकॉल' का पालन नहीं किया, जिससे मुख्य लाइन का सिग्नल तो हरा हो गया, लेकिन ट्रैक 'लूप लाइन' की ओर मुड़ा रह गया।
साजिश या लापरवाही: इस मामले में रेलवे के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था, जिन पर आपराधिक लापरवाही का आरोप है।
सबक लेकर रेलवे ने बदली सुरक्षा रणनीति
बालेश्वर के बहानगा बाजार स्टेशन में हो चुके भयानक रेल हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव किए हैं:
कवच का विस्तार: स्वदेशी एंटी-कोलिजन सिस्टम 'कवच' को मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। जुलाई 2025 तक कई प्रमुख कॉरिडोर पर इसे चालू कर दिया गया है।
डिजिटल लॉगिंग: अब सिग्नलिंग रूम (रिले रूम) को डिजिटल रूप से सील किया जा रहा है ताकि किसी भी अनधिकृत प्रवेश या छेड़छाड़ का तुरंत पता चल सके।
बजट में प्राथमिकता: सुरक्षा संबंधी कार्यों (कवच, ट्रैक सर्किट) के लिए अब आर्थिक औचित्य (इकोनॉमिक जस्टिफिकेशन) की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है, ताकि फंड की कमी से काम न रुके।
बड़ी कार्रवाई: रेल मंत्री ने सदन को अवगत कराया कि हादसे के लिए जिम्मेदार पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और विभागीय कार्रवाई भी अंतिम चरण में है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि सुरक्षा से समझौता करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
क्या हुआ था उस काली रात को?
गौरतलब है कि 2 जून, 2023 की शाम करीब 7:00 बजे, ओडिशा के बालेश्वर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास भारत के इतिहास का सबसे भीषण रेल हादसा हुआ था। इस हादसे में तीन ट्रेनें शामिल थीं:
- कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841): शालीमार से चेन्नई जा रही यह ट्रेन तेज रफ्तार में थी।
- बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12864): जो दूसरी दिशा से आ रही थी।
- मालगाड़ी: जो लूप लाइन पर खड़ी थी।
हादसा कैसे हुआ?
कोरोमंडल एक्सप्रेस को मुख्य लाइन (Main Line) से गुजरना था, लेकिन सिग्नलिंग सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण ट्रेन लूप लाइन पर चली गई, जहाँ पहले से ही लोहे के अयस्क से लदी एक मालगाड़ी खड़ी थी।
कोरोमंडल एक्सप्रेस की मालगाड़ी से भीषण टक्कर हुई, जिसके बाद उसके डिब्बे पटरी से उतरकर बगल वाली लाइन पर आ रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस से जा टकराए। इस त्रासदी में 290 से अधिक लोगों की जान गई और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

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